हाल ही में कांग्रेस ने अगले महीने होने वाले कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए 124 उम्मीदवारों की अपनी पहली लिस्ट जारी की थी। इस लिस्ट में कांग्रेस विधायक दल के नेता सिद्धरमैया समेत कई प्रमुख नेताओं के नाम शामिल हैं।
लिस्ट के मुताबिक, सिद्धरमैया मैसुरु जिले की अपनी पुरानी सीट वरुणा से उम्मीदवार होंगे। ऐसे में ये सवाल उठता है कि राज्य की सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सिद्धरमैया के खिलाफ किसे खड़ा करेगी। वरुणा सीट का प्रतिनिधित्व इस समय सिद्धरमैया के बेटे यतींद्र सिद्धरमैया कर रहे हैं।
कर्नाटक में भाजपा के चुनाव अभियान की अगुवाई कर रहे पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने गुरुवार को संकेत दिया कि उनका बेटा कांग्रेस के दिग्गज नेता सिद्धारमैया के खिलाफ चुनाव लड़ सकता है। कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा संसदीय बोर्ड के सदस्य बी एस येदियुरप्पा ने मैसूरु जिले के वरुणा निर्वाचन क्षेत्र में एक हाई-प्रोफाइल मुकाबले का संकेत दिया है। उन्होंने कहा कि उनके दूसरे बेटे व भाजपा उपाध्यक्ष बी वाई विजयेंद्र को वरुणा निर्वाचन क्षेत्र से उतारने के लिए पार्टी स्तर पर चर्चा हो रही है।
गुरुवार को यह पूछे जाने पर कि क्या उनके बेटे विजयेंद्र को वरुणा निर्वाचन क्षेत्र से मैदान में उतारा जाएगा? इस पर येदियुरप्पा ने संभावना से इनकार नहीं किया। उन्होंने कहा, “बातचीत चल रही है, यह केंद्रीय नेतृत्व के फैसले पर निर्भर करता है। लेकिन हम एक मजबूत उम्मीदवार चुनेंगे और (कांग्रेस को) कड़ी टक्कर देंगे। देखते हैं क्या होता हैं।”
मुख्यमंत्री बनने की इच्छा रखते हैं सिद्धरमैया
सिद्धरमैया की बात करें तो उन्होंने गृह क्षेत्र वरुणा के अलावा एक अन्य सीट से भी चुनाव लड़ने का संकेत दिए हैं। उनकी दूसरी सीट क्या होगी इसको लेकर अभी कोई फैसला नहीं हुआ है। सिद्धरमैया कर्नाटक में कांग्रेस के विधायक दल के नेता हैं और पार्टी की सत्ता में वापसी के बाद मुख्यमंत्री बनने की इच्छा रखते हैं। इसलिए वह एक “सुरक्षित सीट” की तलाश में है। उन्होंने जनवरी में घोषणा की थी कि वह कोलार से चुनाव लड़ेंगे। हालांकि उन्होंने कहा कि यह पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व की मंजूरी पर निर्भर करेगा।
उन्होंने घोषणा की है कि 2023 का विधानसभा चुनाव उनका आखिरी चुनाव होगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वो मैसूरू में अपने पूर्व निर्वाचन क्षेत्र चामुंडेश्वरी से चुनाव नहीं लड़ेंगे। गौरतलब है कि पिछले विधानसभा चुनाव में तत्कालीन मुख्यमंत्री सिद्धरमैया जनता दल (सेक्यूलर) के जी टी देवेगौड़ा से 36,042 मतों से हार गए थे।
विरोध का सामना कर रहे येदियुरप्पा
गौरतलब है कि आरक्षण के मुद्दे पर येदियुरप्पा को कई तरफ से विरोध का सामना करना पड़ रहा है। इसके अलावा, बेटे को लेकर उनकी यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब चुनाव आयोग ने बुधवार को कर्नाटक विधानसभा चुनावों की तारीख का ऐलान कर दिया है। आयोग ने घोषणा की थी कि राज्य में चुनाव 10 मई को होंगे। भाजपा नेता ने कहा, “लिंगायतों और अन्य समुदायों के लिए आरक्षण कोटा उचित है। मुसलमानों के साथ भी कोई अन्याय नहीं किया गया है। अब उन्हें आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों में आरक्षण मिलेगा।”
बेंगलुरु में अचानक की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने जोर देकर कहा कि कांग्रेस 224 सीटों वाली विधानसभा में 70 से ज्यादा सीटों का आंकड़ा पार नहीं करेगी। येदियुरप्पा को इस सप्ताह के शुरू में विरोध का सामना करना पड़ा जब बसवराज बोम्मई सरकार ने आरक्षण को लेकर घोषणा की थी। बंजारा और अन्य पिछड़े समुदायों के सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने शिवमोग्गा में येदियुरप्पा के घर पर पथराव किया।
क्या है कर्नाटक में आरक्षण का मुद्दा?
कर्नाटक सरकार ने ‘धार्मिक अल्पसंख्यकों’ (ओबीसी मुस्लिमों) के लिए चार प्रतिशत आरक्षण समाप्त करने और इसे राज्य के दो प्रमुख समुदायों के मौजूदा आरक्षण में जोड़ने की घोषणा की थी। कर्नाटक में अल्पसंख्यकों के लिए चार फीसदी आरक्षण अब समान रूप से वितरित किया जाएगा और राज्य के वोक्कालिगा और लिंगायत समुदाय के मौजूदा आरक्षण में जोड़ा जाएगा। वोक्कालिगा और लिंगायत समुदाय के लिए पिछले साल बेलगावी विधानसभा सत्र के दौरान 2सी और 2डी की दो नयी आरक्षण श्रेणियां बनाई गई थीं। कर्नाटक मंत्रिमंडल ने धार्मिक अल्पसंख्यकों को आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) श्रेणी के तहत लाने का फैसला किया।