एनसीपी के मुखिया शरद पवार ने सोमवार को अजित पवार और उनके समर्थक 30 विधायकों से मीटिंग के बाद अपनी चुप्पी तोड़ी। उन्होंने साफ कहा कि भाजपा के साथ नहीं जाएंगे। लेकिन अब भी कांग्रेस और शिवसेना असहज हैं।
4 दिन के अंदर ही अजित पवार की शरद पवार से तीन मुलाकातों ने महाविकास अघाड़ी के दोनों साथियों को पसोपेश में डाल रखा है। इन दोनों ही दलों को शरद पवार के रुख पर संदेह है। अजित पवार ने रविवार के बाद सोमवार को भी वाईबी चव्हाण सेंटर जाकर चाचा से मुलाकात की थी। इस दौरान 30 समर्थक विधायक भी थे।
कांग्रेस और शिवसेना की चिंताओं की एक वजह यह भी है कि सोमवार से ही विपक्षी नेताओं का बेंगलुरु में जुटान शुरू हुआ था, लेकिन शरद पवार पहले दिन मुंबई में ही रुके रहे। विपक्षी मीटिंग में ना जाकर अजित पवार से मुलाकात के लिए रुकने को लेकर संदेह हो रहा है। यही नहीं शरद पवार गुट के विधायक भी विधानसभा में सोमवार को तब पहुंचे, जब विपक्ष का धरना प्रदर्शन समाप्त हो गया। इससे शरद पवार के रुख को लेकर संदेह पैदा हो रहा है। कांग्रेस की विधायक यशोमती ठाकुर ने कहा, ‘मेरी निजी राय है कि शरद पवार की भतीजे अजित पवार से मुलाकात को किसी ने भी पसंद नहीं किया होगा।’
कांग्रेस विधायक बोलीं- उम्मीद है पवार, लोकतंत्र का साथ देंगे
कांग्रेस की विधायक ने कहा कि महाराष्ट्र को शरद पवार से उम्मीदें हैं और हमें भऱोसा है कि वह लोकतंत्र के समर्थन में खड़े होंगे। किसी अन्य नेता ने इस पर खुलकर नहीं कहा, लेकिन कुछ नेताओं ने यह जरूर कहा कि शरद पवार को अजित और उनके समर्थकों से मुलाकात से ही इनकार कर देना था। शिवसेना के संजय राउत ने भी इस मामले में शरद पवार को एक तरह से नसीहत दी। उन्होंने कहा कि यदि मैं शरद पवार की जगह पर होता तो अजित पवार को बाहर का रास्ता दिखा देता। बता दें कि अजित पवार और प्रफुल्ल पटेल की करीब 45 मिनट तक शरद पवार से बात हुई।
4 दिन में 3 मुलाकातों ने कैसे बढ़ा दिया है सस्पेंस
इससे पहले रविवार को भी अजित पवार ने चाचा से मुलाकात की थी। यही नहीं शुक्रवार को भी वह अपनी बीमारा चाची का हाल जानने के लिए पहुंचे थे। इस तरह 4 दिनों के अंदर ही तीन मुलाकातों ने कयासों का दौर तेज कर दिया है। प्रफुल्ल पटेल ने सोमवार की मुलाकात को लेकर कहा कि विधायक सेशन के पहले दिन शरद पवार से मुलाकात करना चाहते थे ताकि उनका आशीर्वाद मिल जाए। हम सभी लोगों ने उनसे आग्रह किया है कि वह पार्टी को एकजुट रखें और भाजपा को समर्थन देने पर विचार करें।