पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी वी आनंद बोस के खिलाफ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का आक्रामक रुख जारी है। ममता ने राज्यपाल को धमकी देते हुए कहा कि अगर उन्होंने राज्य सरकार की उपेक्षा जारी रखी तो वह राज्य में विश्वविद्यालयों का फंड रोक देंगी और राजभवन के सामने धरने पर बैठ जाएंगी।
ममता बनर्जी ने शिक्षक दिवस के अवसर पर कोलकाता के धन धान्ये सभागार में एक भाषण के दौरान यह टिप्पणी की। राजभवन के खिलाफ अपना हमला तेज करते हुए, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को धमकी दी कि अगर राज्यपाल सीवी आनंद बोस के सीधे आदेशों को लागू करने की हिम्मत की तो राज्य संचालित विश्वविद्यालयों का फंड रोक दिया जाएगा। उन्होंने कहा, “अगर आप किसी विश्वविद्यालय में हस्तक्षेप करते हैं या यदि कोई विश्वविद्यालय या कॉलेज आपका आदेश मानता है, तो मैं आर्थिक बाधाएं पैदा करूंगी। जैसे को तैसा। कोई समझौता नहीं। देखती हूं आप विश्वविद्यालय के कर्मचारियों को वेतन कैसे देते हैं। हम शिक्षा प्रणाली में कभी हस्तक्षेप नहीं करते हैं।”
मुख्यमंत्री ने अपने प्रशासन के वरिष्ठ नौकरशाहों को राजभवन के खिलाफ पूरी कानूनी कार्रवाई के लिए तैयार रहने का निर्देश दिया। खबर लिखे जाने तक राजभवन की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। सीएम ने कहा, “कृपया ध्यान रखें। हमें यह लड़ाई आर-पार लड़नी है। और अगर यह पता चला कि संघीय ढांचे में हस्तक्षेप हुआ है, तो मैं गवर्नर-हाउस के बाहर धरना देने के लिए मजबूर हो जाऊंगी। मैं शिक्षा प्रणाली को ढहने नहीं दूंगी।”
ममता ने कहा, “हम नीतियां बनाते हैं और विश्वविद्यालयों को फंड देते हैं और वह (राज्यपाल) आदेश देंगे? क्या आपने कभी सुना है कि किसी विश्वविद्यालय का कुलपति 16 अन्य को हटाकर आधी रात के बाद नियुक्त किया जाता है? केरल के एक आईपीएस अधिकारी को एक विश्वविद्यालय का वी-सी नियुक्त किया गया। एक पूर्व न्यायाधीश को दूसरे विश्वविद्यालय का वी-सी नियुक्त किया गया। मैं उन्हें जानती हूं क्योंकि वह मेरे मास्टर्स के दौरान मेरे सहपाठी थे।” उन्होंने कहा कि वो आदमी जो शेफ नहीं है, उसे बिरयानी बनाने के लिए कहा जा रहा है।
2019 में, जब पूर्व राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने कार्यभार संभाला था, तब से राज्य संचालित विश्वविद्यालयों का कामकाज हमेशा सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और राजभवन के बीच विवाद का विषय रहा है। फिलहाल बोस सभी राज्य-संचालित विश्वविद्यालयों के चांसलर हैं। उन्होंने हाल ही में उन 14 विश्वविद्यालयों के कार्यवाहक कुलपति (वीसी) बनने का निर्णय लेकर टीएमसी सरकार की नाराजगी मोल ले ली जहां पद खाली पड़े थे।
सात विश्वविद्यालयों में अंतरिम कुलपति (वीसी) नियुक्त करने के फैसले को लेकर राज्यपाल बोस और पश्चिम बंगाल सरकार के बीच विवाद चल रहा है। राजभवन के सूत्रों ने कहा था कि बोस, जो राज्य संचालित विश्वविद्यालयों के चांसलर भी हैं, वे नौ अन्य विश्वविद्यालयों में अंतरिम वीसी नियुक्त करने की प्रक्रिया में हैं।
इस घटनाक्रम की पश्चिम बंगाल सरकार ने कड़ी आलोचना की थी और शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु ने इस कदम को “असंवैधानिक” और “अवैध” करार देते हुए “तानाशाहीपूर्ण तरीके” से काम करने के लिए राज्यपाल की आलोचना की थी। बाद में, बसु ने दावा किया कि यह राज्य सरकार के कामकाज में हस्तक्षेप करने का एक प्रयास था।