ओलंपिक विजेता पहलवान विनेश फोगाट के हरियाणा के चुनावी दंगल में उतरने के बाद अब राज्यभर के अखाड़े महिला पहलवानों से फिर से गुलजार होने लगे हैं। भारतीय कुश्ती संघ (WFI) के पूर्व प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों के बाद से हरियाणा की कई युवा महिला पहलवानों ने अखाड़ों से दूरी बना ली थी।
लेकिन फोगाट के चुनावी मैदान में उतरने के बाद से नारे बदल गए हैं। अब राज्य की महिला युवा पहलवान अपने करियर के बारे में पुनर्विचार कर रहीं हैं और चाहती हैं कि विनेश फोगाट खेल मंत्री बनें ताकि उन्हें अखाड़ों में वापसी करने में और मदद मिल सके।
पूरे हरियाणा में कुश्ती के अखाड़े एक समय युवा लड़कों और लड़कियों से भरा हुआ करते थे, जिनका एक ही लक्ष्य होता था – बड़ी प्रतियोगिताओं में पदक जीतना और उसके बाद सरकारी नौकरी पाना लेकिन पिछले साल, जनवरी 2023 में विगेश फोगाट, साक्षी मलिक और बजरंग पुनिया समेत शीर्ष पहलवानों के विरोध प्रदर्शन के बाद चीजें अचानक बदल गईं। विरोध प्रदर्शनों के दौरान, जूनियर महिला पहलवानों को कथित रूप से परेशान करने के लिए भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व प्रमुख और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद बृजभूषण शरण सिंह के इस्तीफे की मांग की गई।
इसके बाद से अखाड़ों में युवा महिला पहलवानों के बीच पहलवानी छोड़ने की प्रवृत्ति बढ़ती देखने को मिली थी। हालांकि, अब चीजें बदलने लगी हैं। सोनीपत जिले में युद्धवीर अखाड़े में प्रशिक्षण ले रही एक युवा महिला पहलवान ने कहा, “मैं विरोध प्रदर्शन शुरू होने के बाद पांच महीने तक यहां नहीं आई, क्योंकि मेरे माता-पिता ने मुझे प्रशिक्षण जारी रखने की अनुमति नहीं दी थी।” युद्धवीर अखाड़ा लड़कियों के लिए सबसे बड़ा अखाड़ा है।
पहलवान ने नाम सार्वजनिक नहीं करने की शर्त पर कहा, “मैंने किसी तरह उन्हें प्रशिक्षण फिर से शुरू करने के लिए मना लिया है, लेकिन अब मेरे पिता मेरे साथ रहते हैं और मेरे आने तक इंतजार करते हैं।” उन्होंने कहा, “हमें उम्मीद है कि जब विनेश फोगाट निर्वाचित होंगी, तो उन्हें खेल मंत्री बनाया जाएगा क्योंकि वह महिला पहलवानों के सामने आने वाली चुनौतियों को समझती हैं।”
रोहतक के मेहर सिंह अखाड़े में प्रशिक्षण के लिए आने वाले युवा पहलवानों की संख्या में उल्लेखनीय गिरावट आई है। अखाड़े के मालिक मोहित मलिक ने कहा कि 2024 के पेरिस ओलंपिक में फोगाट के प्रदर्शन के बाद वे माता-पिता प्रेरित हुए हैं जो अपनी बेटियों को अखाड़ों में भेजने को लेकर संशय में थे। फोगाट पेरिस ओलंपिक में स्वर्ण पद पाने से चूक गई थीं।
उन्होंने कहा, “राज्य में बेरोजगारी है और सरकारी नौकरी पाने का एक तरीका खेल है, ऐसा आम लोगों का मानना है। अखाड़ों के लिए धन भी स्थानीय निवासियों या व्यक्तियों से मिलता है और सरकार का समर्थन बहुत सीमित है।” हालांकि विनेश फोगाट मलिक के निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव नहीं लड़ रही हैं, लेकिन उन्होंने कहा कि फोगाट को उनके साथ-साथ राज्य के कई पहलवानों और अखाड़ों के प्रशिक्षकों का भी समर्थन प्राप्त है। उन्होंने कहा, “हमें अपने बीच से ही किसी ऐसे व्यक्ति की जरूरत है जो विधानसभा में हमारी आवाज बन सके।”
इस बीच, फोगाट ने जोर देकर कहा है कि वह नहीं चाहतीं कि जुलाना को सिर्फ उनके कारण जाना जाए। उन्होंने जींद के सिवाहा गांव में जनसभा के दौरान कहा, “लोग कह रहे हैं कि जुलाना अब प्रसिद्ध हो गया है, क्योंकि मैं चुनाव लड़ रही हूं। मैं चाहती हूं कि जुलाना रोजगार और कुश्ती के लिए जाना जाए, न कि विनेश के लिए।” चरखी दादरी में जन्मीं फोगाट पेरिस ओलंपिक से लौटने के बाद कांग्रेस में शामिल हो गयी थीं। उन्हें महिलाओं की 50 किलोग्राम फ्रीस्टाइल कुश्ती स्पर्धा के खिताबी मुकाबले में 100 ग्राम अधिक वजन होने के कारण अयोग्य घोषित कर दिया गया था।