ड्रैगन की बढ़ती कारगुजारियों के बीच सीमा पर उसे करारा जवाब देने के लिए भारत ने पुख्ता इंतजाम कर लिया है। यह इंतजाम है भारत सरकार का वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम। इस प्रोग्राम के जरिए भारत का मकसद एक तरफ सीमावर्ती प्रदेशों में बसे भारतीय नागरिकों का जीवन बेहतर करना है।
वहीं, चीन की हरकतों का माकूल जवाब भी देना चाहता है। इस योजना से करीब तीन हजार गांवों को फायदा मिलेगा। आइए जानते हैं आखिर क्या है ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम’…
इसलिए अहम है योजना
इस योजना से सिर्फ अरुणाचल प्रदेश ही नहीं, बल्कि भारत और चीन सीमा के करीब बसे कई अन्य प्रदेशों को भी लाभ मिलेगा। भारत की चीन से सटी हुई सीमा कुल करीब 3488 किमी लंबी है। इसमें अरुणाचल प्रदेश में 1126 किमी, जम्मू कश्मीर में 1597 किमी, उत्तराखंड में 345 किमी, हिमाचल में 200 और सिक्किम में 220 किमी चीन से लगी हुई है। इन सीमा क्षेत्र में बसे गांव भारत के लिए रणनीतिक रूप से बेहद अहम हैं। लेकिन समस्या यह है कि इन गांवों में बसने वाले लोग रोजी-रोजगार की तलाश में यहां से दूर जा चुके हैं। भारत सरकार एलएसी से इन गांवों को वाइब्रेंट विलेज योजना से जोड़ रही है ताकि यहां से पलायन रुके और भारत का समय से सटीक सूचनाएं मिलती रहें। इस योजना के तहत पहले फेज में कुल 666 गांवों का चयन किया गया है, जिसमें आंध्र प्रदेश के 455 गांव हैं।
चीन को ऐसे मिलेगा जवाब
भारत सरकार ने इस योजना के लिए करीब 4800 करोड़ रुपए हैं। इसमें से 2500 करोड़ रुपए सड़कों को जोड़ने पर खर्च किए जाएंगे। खबरों के मुताबिक चीन ने भारत की सीमा से सटे इलाकों में सैकड़ों गांव बसाए हैं। इन गांवों में ड्रैगन दूरदराज से लोगों को लाकर बसा रहा है और इनका इस्तेमाल डिफेंस फोर्स के रूप में कर रहा है। सितंबर 2021 में पेंटागन ने एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें उसके द्वारा अरुणाचल प्रदेश में एक सेना चौकी बनाने की बात भी कही गई थी। ऐसे हालात के मद्देनजर भारत के लिए यह बेहद अहम हो गया था कि वह सीमावर्ती क्षेत्रों की सुरक्षा की तरफ पुख्ता तरीके से ध्यान दे।