विपक्षी दलों के कई सदस्यों ने वक्फ (संशोधन) विधेयक पर विचार कर रही संसद की संयुक्त समिति की बैठक का सोमवार को बहिष्कार करते हुए आरोप लगाया कि समिति नियम-कानून के अनुसार काम नहीं कर रही है।
कांग्रेस के गौरव गोगोई और इमरान मसूद, डीएमके के ए राजा, शिवसेना (यूबीटी) के अरविंद सावंत, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के असदुद्दीन ओवैसी, समाजवादी पार्टी के मोहिबुल्लाह और आम आदमी पार्टी के संजय सिंह जैसे विपक्षी सांसद बैठक से बाहर निकल गए और JPC की कार्यवाही को लेकर अपनी चिंताएं जाहिर कीं।शिवसेना सांसद सावंत ने संवाददाताओं से कहा कि विधेयक पर गौर कर रही संसद की संयुक्त समिति नियमों के मुताबिक काम नहीं कर रही है। उन्होंने और कुछ अन्य सांसदों ने आरोप लगाया कि समिति के समक्ष उपस्थित एक व्यक्ति को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे जैसे वरिष्ठ विपक्षी सदस्यों के खिलाफ व्यक्तिगत आरोप लगाने की अनुमति दी गई।विपक्षी सदस्यों ने आगे की रणनीति तय करने के लिए बाद में एक अलग बैठक की, जिसमें से कुछ ने इस प्रकरण पर लोकसभा अध्यक्ष से संपर्क करने का सुझाव दिया। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ सांसद जगदंबिका पाल की अध्यक्षता वाली समिति ने अपनी कार्यवाही जारी रखी।मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्यों से मिले हेमंत सोरेन,वक्फ संशोधन पर कही ये बातविपक्षी सांसदों के अनुसार, कर्नाटक राज्य अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष अनवर मणिप्पादी की एक प्रस्तुति के बाद समिति में विवाद खड़ा हो गया, जिनकी गवाही वक्फ विधेयक के दायरे से परे थी। सांसदों ने आरोप लगाया कि मणिप्पादी की टिप्पणियों में कर्नाटक सरकार और मल्लिकार्जुन खड़गे के खिलाफ अनुचित आरोप शामिल थे, जिससे विवाद और बढ़ गया। बाद में, विपक्षी सदस्यों ने अपना अगला कदम तय करने के लिए एक अलग बैठक बुलाई, जिसमें कुछ ने सुझाव दिया कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से हस्तक्षेप की मांग की जाय।