लोकसभा में नए आपराधिक कानून बिल पारित, मॉब लिंचिंग के लिए फांसी की सजा का प्रावधान
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औपनिवेशिक युग के आपराधिक कानूनों की जगह लेने वाले तीन महत्वपूर्ण विधेयक आज लोकसभा में पास हो गए। भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) विधेयक 2023 सहित तीन बिल लोकसभा से पारित।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा पेश किए बिलों को लोकसभा में ध्वनि मत के साथ पारित किया गया। ये तीनों विधेयक कानून बनने पर 1860 के भारतीय दंड संहिता, 1973 के आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और 1872 के भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेंगे।

इससे पहले शाह ने भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) विधेयक 2023 पर सदन में हुई चर्चा का जवाब देते हुए यह भी कहा कि ‘व्यक्ति की स्वतंत्रंता, मानव के अधिकार और सबके साथ समान व्यवहार’ रूपी तीन सिद्धांत के आधार पर ये प्रस्तावित कानून लाए गए हैं।

हाल ही में सुरक्षा उल्लंघन पर विरोध प्रदर्शन के बाद 143 विपक्षी सदस्यों के निलंबन के बीच ये कानून पारित किए गए। दो और सांसदों के निलंबन के साथ आज लोकसभा में निलंबन की संख्या 97 तक पहुंच गई। एक तृणमूल सांसद द्वारा राज्यसभा के सभापति और उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की नकल के बाद यह मुद्दा सरकार और विपक्ष के बीच ताजा विवाद का विषय बन गया है।

चर्चा के दौरान शान ने किसी का नाम लिए बगैर कांग्रेस पर परोक्ष निशाना साधते हुए कहा कि ‘अगर मन इटली का है तो ये कानून कभी समझ नहीं आएगा, लेकिन अगर मन यहां का है तो समझ आ जाएगा।” गृह मंत्री का कहना था कि आपराधिक न्याय प्रणाली में आमूल-चूल बदलाव किया जा रहा है जो भारत की जनता का हित करने वाले हैं।

शाह ने कहा, ”इस ऐतिहासिक सदन में करीब 150 साल पुराने तीन कानून, जिनसे हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली चलती है, उन तीनों कानूनों में पहली बार मोदी जी के नेतृत्व में भारतीयता, भारतीय संविधान और भारत की जनता की चिंता करने वाले बहुत आमूल-चूल परिवर्तन लेकर मैं आया हूं।” गृह मंत्री ने सदन में कहा कि ‘मॉब लिंचिंग’ घृणित अपराध है और इस कानून में मॉब लिंचिंग अपराध के लिए फांसी की सजा का प्रावधान किया जा रहा है।

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