लोकसभा चुनाव खत्म होते ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक्शन में आ गए हैं। चार जून को लोकसभा का रिजल्ट आते ही पांच जून को नियुक्तियों को लेकर अफसरों को निर्देश दिया था। अगले दो दिन दिल्ली में आयोजित बीजेपी संसदीय दल और एनडीए की बैठक में शामिल हुए।अब शनिवार को यूपी के सभी मंत्रियों की बड़ी बैठक बुलाई है। बैठक का एजेंडा अभी सामने नहीं आया है लेकिन माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव में बीजेपी को मिली निराशाजनक सीटों को लेकर मंत्रियों से चर्चा की जाएगी। हार की समीक्षा के साथ ही सरकार की प्राथमिकता वाले कार्यों को तेजी से करने पर बात होगी।सरकार की प्राथमिकता अब लोकसभा चुनाव की हारी सीटों पर जल्द से जल्द लोगों में दोबारा भाजपा के प्रति विश्वास जगाना है। कई सांसदों ने हार के लिए विधायकों और संगठन के लोगों पर भितरघात करने और सहयोग नहीं करने का आरोप लगाया है। खासकर केंद्रीय मंत्रियों ने विधायकों पर सीधे निशाना साधा है। देश में भाजपा को सबसे बड़ा झटका यूपी में ही लगा है। यहां पिछली बार सपा-बसपा के गठबंधन के बाद भी भाजपा 63 सीटें जीतने में कामयाब हो गई थी। इस बार उसे केवल 33 सीटें ही मिली हैं। पांच सीटों पर सिमटने वाली सपा और केवल एक सीट पाने वाली कांग्रेस ने आश्चर्यजनक रूप से क्रमशः 37 और छह सीटें जीत ली हैं।यूपी के आठ विधायक भी अब सांसद बन गए हैं। ऐसे में इन सीटों पर उपचुनाव होगा। सरकार के लिए पहली चुनौती इन आठों सीटों को जीतना भी रहेगा। इन सीटों में ज्यादातर सपा के पास रही हैं। अगर भाजपा इन्हें हासिल कर लेती है तो कार्यकर्ताओं का जोश एक बार फिर बढ़ाने में मदद मिल सकती है। लोकसभा चुनाव में एनडीए को बहुमत मिलने के बाद भी यूपी में मिली हार के कारण कार्यकर्ता सबसे ज्यादा हताश हैं। ऐसे में सरकार की कोशिश कार्यकर्ताओं का जोश फिर से बहाल करना भी प्राथमिकता है।