यूक्रेन पर रूस के हमले के चलते पूरी दुनिया में हथियारों पर खर्च में बेतहाशा इजाफा हो गया है। 2022 में वैश्विक सैन्य खर्च तेजी से बढ़ते हुए 2.24 ट्रिलियन डॉलर हो गया है। एक डिफेंस थिंक टैंक की रिपोर्ट में यह बात कही गई है।
यह लगातार 8वां ऐसा साल है, जब दुनिया ने सैन्य खर्च में इजाफा किया है। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टिट्यूट की रिपोर्ट के मुताबिक यूरोप ने अपने सैन्य खर्च में 13 फीसदी की बढ़ोतरी की है। बीते 30 सालों में यूरोप के देशों ने पहली बार अपना सैन्य खर्च इतना बढ़ा दिया है। माना जा रहा है कि इसकी वजह रूस का खौफ है, जिसने यूक्रेन पर भीषण हमला किया है। इसके अलावा दखल देने वालों पर भी अटैक की धमकी दी है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि सैन्य खर्च में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी रूस और यूक्रेन ने ही की है, लेकिन इस जंग से डरे दूसरे देशों ने भी हथियारों पर पानी की तरह पैसा बहाया है। रिपोर्ट में कहा गया, ‘बीते कुछ सालों में जिस तरह से हथियारों पर खर्च बढ़ा है, यह इस बात का संकेत है कि हम एक असुरक्षित दुनिया में रह रहे हैं।’ कई देश अपनी सुरक्षा को खतरे में देखते हुए खर्च बढ़ा रहे हैं। ऐसा लगता है कि आने वाले कुछ सालों तक इस स्थिति में सुधार नहीं आएगा। मॉस्को ने 2014 में भी यूक्रेन के एक हिस्से क्रीमिया में सैन्य दखल दिया था और उसका विलय करा लिया था।
सोवियत का हिस्सा रहे देश भी डरे
अब एक बार फिर से उसने बीते साल अटैक किया था, जिसके चलते अब भी जंग जारी है। इस हमले के चलते रूस के पड़ोसी देशों की चिंता बढ़ी है। इसके अलावा कभी सोवियत का ही हिस्सा रहे देश भी खौफ के साये में हैं। ऐसी स्थिति में ये देश अपनी सेनाओं को मजबूत करने में जुटे हैं। हालात को इससे समझा जा सकता है कि फिनलैंड ने अपने सैन्य खर्च में 37 फीसदी का इजाफा किया है। इसके अलावा लिथुआनिया ने तो अपने रक्षा खर्च को 27 फीसदी बढ़ा दिया है। बता दें कि फिनलैंड ने तो नाटो की सदस्यता भी ले ली है। यही नहीं डरा हुआ स्वीडन भी नाटो के लिए कतार में खड़ा है।
फिनलैंड बना नाटो मेंबर, लाइन में लगा है स्वीडन
फिनलैंड की रूस से 1,340 किलोमीटर लंबी सीमा लगती है। वह अब नाटो का 31वां मेंबर बन गया है। दिलचस्प बात यह है कि 200 सालों से किसी भी सैन्य गठजोड़ से दूर रहने वाला स्वीडन भी नाटो में लिए जाने की गुहार लगा रहा है, लेकिन उसकी एंट्री तुर्की के चलते अटकी पड़ी है। यूक्रेन ने अपने रक्षा खर्च में 6 गुना का इजाफा करते हुए 44 अरब डॉलर की लागत से हथियार खरीदे हैं। वहीं रूस की सेना ने 86.4 अरब डॉलर की बड़ी पूंजा लगाते हुए रक्षा बजट को 9.2 फीसदी बढ़ा दी है। हालांकि अमेरिकी खर्च में 0.7 फीसदी का ही इजाफा हुआ है। उसने कुल 877 अरब डॉलर की रकम लगाई है।