इस तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं कि केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी राजनीति छोड़ सकते हैं। गडकरी ने एक बार फिर संकेत दिया कि राजनीति में उनकी दिलचस्पी कम हो रही है। उनके बयान ने न केवल पार्टी आलाकमान के साथ संभावित अनबन की अटकलों को हवा दी है, बल्कि यह भी कि उन्हें 2024 के आम चुनावों के लिए टिकट से वंचित किया जा सकता है।
उनकी टिप्पणी को एक संकेत के रूप में देखा जा रहा है कि आरएसएस से करीबी संबंधों वाले नागपुर के कद्दावर नेता भाजपा के शीर्ष नेताओं के साथ संबंधों को लेकर नाखुश हैं।
ज्यादा मक्खन लगाने को तैयार नहीं – गडकरी
रविवार को एक पुरस्कार समारोह में बोलते हुए, गडकरी ने कहा था कि भले ही उन्होंने दो चुनाव जीते हैं, लेकिन वह चाहते हैं कि लोग उन्हें तभी वोट दें जब वे उनके काम को पसंद करते हों। नागपुर में वह डॉक्टर मोहन धारिया राष्ट्र निर्माण पुरस्कार समारोह में शामिल हुए गडकरी ने कहा कि वह वोट के लिए मक्खन लगाने वाले नहीं हैं। गडकरी ने कहा, ‘मैं देश में जैव ईंधन और वाटरशेड संरक्षण सहित कई प्रयोग कर रहा हूं। अगर लोग इन्हें पसंद करते हैं, तो ठीक है… नहीं तो मुझे वोट मत दें। मैं पॉपुलर पॉलिटिक्स के लिए ज्यादा मक्खन लगाने को तैयार नहीं हूं।’
“वे जिसे चाहें वोट दें”
द टाइम्स ऑफ इंडिया ने गडकरी के कार्यालय के एक अधिकारी के हवाले से लिखा मंत्री के बयान को मीडिया द्वारा गलत तरीके से पेश किया गया। उन्होंने कहा, “उन्होंने (गडकरी) केवल यह स्पष्ट किया था कि वह वोट पाने के लिए तुष्टीकरण की राजनीति नहीं करेंगे।” वैसे इससे पहले भी गडकरी ने सार्वजनिक मंचों पर इसी तरह के बयान देकर अपनी योजनाओं के बारे में संकेत दिया था। जनवरी में हलबा आदिवासी महासंघ के सदस्यों को संबोधित करते हुए, उन्होंने उनसे कहा कि वे जिसे चाहें वोट दें, क्योंकि यह उनकी पसंद है।
पिछले साल जुलाई में उन्होंने कहा था कि कभी-कभी उन्हें लगता है कि उन्हें राजनीति छोड़ देनी चाहिए, क्योंकि समाज के लिए और भी बहुत कुछ करने की जरूरत है। इसके बाद, उन्हें न केवल भाजपा के संसदीय बोर्ड से बाहर रखा गया, बल्कि केंद्रीय चुनाव समिति (सीईसी) से भी बाहर कर दिया गया। भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति में हुए फेरबदल में महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस सहित कई नए चेहरों को शामिल किया गया था।
लोग कहते हैं ‘रोडकारी’
गडकरी के राजनीति छोड़ने के कयासों पर भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि सक्रिय राजनीति से उनका बाहर निकलना पूरे महाराष्ट्र और विशेष रूप से विदर्भ क्षेत्र के लिए एक बड़ा नुकसान होगा। उन्होंने कहा, “जब से वह शहर के सांसद चुने गए हैं, उन्होंने पूरे देश में विकास का नेतृत्व किया है। वह अपने आठ साल के छोटे से कार्यकाल में नागपुर का चेहरा बदलने के लिए जिम्मेदार हैं। उनके कार्यों की विपक्षी नेता भी सराहना करते हैं। यही कारण है कि उन्हें अक्सर ‘रोडकारी’ कहा जाता है।”
बता दें कि 2014 से पहले, गडकरी ने कोई प्रत्यक्ष चुनाव नहीं लड़ा था, लेकिन महाराष्ट्र में स्नातक निर्वाचन क्षेत्र की सीट पर एमएलसी के रूप में चुने गए थे। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद उन्हें 2014 में लोकसभा टिकट की पेशकश की गई, जहां उन्होंने सात बार के सांसद विलास मुत्तेमवार को हराया। उन्होंने नाना पटोले को हराकर 2019 के चुनावों में अपनी सीट बरकरार रखी।