भारतीय जनता पार्टी का मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में तीन केंद्रीय मंत्रियों और कुछ सांसदों को विधायक के चुनाव का टिकट देना बीजेपी शासित दूसरे राज्यों के मंत्रियों और भाजपा के सांसदों की नींद उड़ा चुका है।
इसी फॉर्मूले पर 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी का टिकट मिलने या कटने की अटकलों से यूपी में भी कई नेता परेशान हैं। अटकलबाजी शुरू हो चुकी है और उसमें उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार में मंत्री पद का आनंद ले रहे कई नेताओं का नाम है। चर्चा है कि उत्तर प्रदेश सरकार के दोनों डिप्टी सीएम और कुछ मंत्रियों को भाजपा लोकसभा का चुनाव लड़ा सकती है। यूपी के वो भाजपा नेता जो केंद्र में मंत्री या सांसद हैं, उनके टिकट कटने को लेकर भी तुक्केबाजी चलने लगी है। इस रिपोर्ट में जो भी नाम हैं, वो पूरी तरह से अटकल और चर्चा के आधार पर लिखे गए हैं।
सबसे पहले बात करते हैं उनकी जिनके नाम टिकट कटने वालों की चर्चा में हैं। 75 साल पूरा कर रहे सांसदों का टिकट कटेगा, ये ज्यादातर लोग मानकर चल रहे हैं। ऐसे सांसदों में बरेली के एमपी संतोष गंगवार, मथुरा की सांसद हेमा मालिनी, प्रयागराज सांसद रीता बहुगुणा जोशी, कानपुर सांसद सत्यदेव पचौरी, डुमरियागंज एमपी जगदंबिका पाल, मेरठ सांसद राजेंद्र अग्रवाल, फिरोजाबाद सांसद चंद्रसेन जादौन का नाम शामिल है। कुछ सांसद राजनीतिक कारणों से टिकट गंवा सकते हैं जिसमें पीलीभीत सांसद वरुण गांधी और बदायूं की सांसद संघमित्रा मौर्या प्रमुख हैं।
कैसरगंज के सांसद बृजभूषण शरण सिंह जिस तरह महिला पहलवानों के केस में उलझे हैं, उसमें महिला आरक्षण कानून का श्रेय ले रही भाजपा टिकट देगी या नहीं, कहना मुश्किल है। वैसे बृजभूषण मीडिया से कह चुके हैं- कौन काटेगा टिकट, आपसे कटता है तो कटवा दो। महिला आरक्षण इस चुनाव में लागू तो नहीं हो रहा लेकिन अगर भाजपा सांकेतिक रूप से कोई हिस्सा महिलाओं के लिए लोकसभा चुनाव में तय करती है तो उसका असर यूपी में पुरुष सांसदों की विदाई के रूप में दिखेगा। 2019 के चुनाव में बीजेपी ने यूपी में अपने कोटे की 78 सीटों पर 10 महिलाओं को टिकट दिया था जिसमें 8 जीती थीं।
अब बात योगी सरकार के उन मंत्रियों या भाजपा के विधायकों की, जिनका नाम लोकसभा चुनाव का टिकट मिलने वालों की चर्चा में शामिल है। योगी के दोनों डिप्टी सीएम का नाम इसमें चल रहा है। केशव प्रसाद मौर्या फूलपुर से बीजेपी और ब्रजेश पाठक उन्नाव से बसपा के टिकट पर सांसद रह चुके हैं। अब इसका मतलब ये नहीं है कि उन्हें उसी सीट से लड़ाया जाएगा। सीट कोई और भी हो सकती है। कांग्रेस और बसपा से भाजपा में आकर मंत्री बने जितिन प्रसाद, जयवीर सिंह, नरेंद्र कश्यप, दयाशंकर मिश्र दयालु का नाम भी लोकसभा के संभावित कैंडिडेट में चल रहा है। इनमें जितिन कांग्रेस से सांसद और मनमोहन सिंह सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं।
भाजपा मंत्रियों में सूर्यप्रताप शाही, दयाशंकर सिंह, संजय गंगवार और बेबीरानी मौर्य का नाम भी चर्चा में है। हेमा मालिनी का टिकट कटने पर मथुरा विधायक श्रीकांत शर्मा की दावेदारी ऐसे भी बन जाएगी। कुशीनगर से कांग्रेस के सांसद और मनमोहन सरकार में मंत्री रहे आरपीएन सिंह का नाम भी चर्चा में है। भाजपा में टिकट मिलने और कटने के फैसलों में पार्टी संगठन की सिफारिश, संघ की पसंद-नापसंद, सर्वे एजेंसियों के फीडबैक जैसे बहुत सारे फैक्टर काम करते हैं। कोई सीट 75 साल उम्र के कारण खाली हो रही हो तो वहां नया कैंडिडेट होगा ही। लेकिन टिकट उनके भी कट सकते हैं जिनके काम से जनता नाराज है और सर्वेक्षण एजेंसियां जनता का मूड नापने के लिए लगातार फील्ड में काम कर रही हैं। 2019 का लोकसभा चुनाव हारने के बाद बीजेपी में आए सांसदों के लिए चुनौती और ज्यादा गंभीर है क्योंकि हराने वाला भी बीजेपी में है।