उत्तर प्रदेश में अब विदेशी फंडिंग हासिल करने वाले मदरसा सरकार की रडार पर आ गए हैं। खबर है कि इनकी जांच के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली सरकार ने जांच के आदेश भी दे दिए हैं।
आगे की प्रक्रिया सरकार की तरफ से गठित स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम या SIT उठाएगी। कहा जा रहा है कि इनमें से करीब 80 मदरसा ऐसे हैं, जिन्हें विदेश से करीब 100 करोड़ रुपये की फंडिंग मिली है।
जांच में क्या?
इन मदरसों को फंडिंग कहां से मिल रही है? साथ ही इन रुपयों को किस काम के लिए खर्च किया जा रहा है? इनमें कोई अनियमितताएं हैं या नहीं? खबर है कि SIT ने ऐसे 80 मदरसों की पहचान कर ली है, जिन्हें बीते 2 सालों में लगभग 100 करोड़ रुपये की फंडिंग मिली है। कहा जा रहा है कि SIT ने पहले ही बोर्ड से रजिस्टर्ड मदरसों की जानकारी मांग ली है।
टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में एटीएस में एडिशनल डीजी मोहित अग्रवाल बताते हैं, ‘हम देखेंगे कि विदेशी फंडिंग के जरिए मिली रकम को कैसे खर्च किया जा रहा है। यह देखा जाना है कि रकम का इस्तेमाल मदरसा चलाने के लिए हो रहा है या कोई अन्य गतिविधियों पर खर्च किया जा रहा है।’ उन्होंने बताया कि राज्य सरकार की ओर से जांच पूरी करने के लिए कोई अवधि तय नहीं की गई है।
खास बात है कि हाल ही में एटीएस ने एक गैंग के तीन लोगों को गिरफ्तार किया था। कहा जा रहा था कि ये लोग अवैध तरीके से बांग्लादेशी नागरिकों और रोहिंग्याओं को प्रवेश कराने का काम करते हैं। जांच में खुलासा हुआ था कि इनकी मदद के लिए दिल्ली के एक एनजीओ के जरिए 3 सालों में 20 करोड़ रुपये की फंडिंग हुई थी।
पहले ही हो गई थी तैयारी
योगी सरकार ने जिला मजिस्ट्रेटों केो बीते साल ही सर्वे के निर्देश दिए थे। तब दो महीनों तक चले सर्वे में पता लगा था कि ऐसे करीब 8 हजार 449 मदरसा हैं, जो स्टेट मदरसा एजुकेशन बोर्ड की तरफ से मान्यता प्राप्त नहीं हैं और काम कर रहे हैं। साथ ही यह जानकारी मिली थी कि लखीमपुर खीरी, पीलीभीत, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर और नेपाल बॉर्डर के पास 1000 से ज्यादा मदरसा चल रहे हैं।
रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि इन इलाकों में मदरसों की संख्या बीते कुछ सालों में तेजी से बढ़ी है। साथ यह भी पता चला था कि इन मदरसों को विदेश से फंडिंग मिल रही है। इसके बाद SIT का गठन किया गया। अल्पसंख्यक विभाग की जांच में भी पता लगा था कि कई मदरसा विदेशी फंडिंग हासिल कर रहे थे।