लोकसभा चुनाव के चौथे चरण में उत्तर प्रदेश की 13 सीटों पर चुनाव प्रचार शनिवार की शाम को थम गया। सोमवार को इन सीटों पर मतदान होगा। प्रचार थमने के साथ ही मतदान की तैयारी शुरु हो गयी।
रविवार को सुबह से मतदान केन्द्रों के लिए पोलिंग पार्टियों की रवानगी शुरु हो जाएगी। यह 13 लोकसभा सीटें हैं-शाहजहॉपुर (सु.), खीरी, धौरहरा, सीतापुर, हरदोइ (सु.), मिश्रिख (सु.), उन्नाव, फर्रूखाबाद, इटावा (सु.), कन्नौज, कानपुर, अकबरपुर, बहराइच (सु.) । इन 13 लोकसभा सीटों में आठ सीटें सामान्य श्रेणी की हैं और पांच सीट सुरक्षित है। यह 13 सीटें प्रदेश के शाहजहॉपुर, खीरी, सीतापुर, हरदोई, कानपुर नगर, उन्नाव, फर्रूखाबाद, एटा, इटावा, औरैया, कानपुर देहात, कन्नौज व बहराइच सहित 13 जिलों के तहत आती हैं।
इन 13 लोकसभा सीटों के साथ ही शाहजहांपुर जिले की ददरौल विधान सभा पर हो रहे उपचुनाव के लिए भी मतदान होगा। इन 13 लोकसभा सीटों पर कुल 130 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। शाहजहांपुर सु.सीट पर 10, खीरी सीट पर 11, धौरहरा सीट पर 12, सीतापुर में आठ, हरदोई सु.सीट पर 12, मिश्रिख सु.सीट पर 9, उन्नाव सीट पर नौ, फरूखाबाद सीट पर आठ, इटावा सु. सीट पर आठ, कन्नौज सीट पर 15, कानपुर सीट पर 11, अकबरपुर पर नौ, बहराइच सु.सीट पर 10 प्रत्याशी हैं। कन्नौज लोकसभा सीट पर सर्वाधिक 15 उम्मीदवार हैं। ‘हिन्दुस्तान’ में त्रुटिवश इस सीट पर 17 उम्मीदवार खड़े होने से हर पोलिंग बूथ पर दो-दो ईवीएम लगने की खबर प्रकाशित हो गयी थी। लेकिन मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय से स्पष्ट किया गया कि इस सीट पर 15 प्रत्याशी ही हैं इसलिए हर पोलिंग बूथ पर एक-एक ईवीएम ही लगेगी।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय से मिले आंकड़ों के अनुसार इन 13 सीटों पर कुल 26588 मतदान केंद्र हैं। 1 करोड़ 31 लाख 82 हजार 341 पुरुष वोटर, 1 करोड़ 15 लाख 63 हजार 739 महिला वोटर व 947 थर्ड जेण्डर वोटर हैं। कुल मतदाताओं की संख्या 2 करोड़ 47 लाख 47 हजार 027 है। सबसे ज्यादा मतदान केंद्र 2498 उन्नाव लोकसभा सीट पर हैं।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा-126 के तहत निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान समाप्त होने से पूर्व के 48 घंटे की अवधि में अर्थात कल 11 मई 2024 को शाम 6 बजे से चतुर्थ चरण के सभी 13 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों तथा ददरौल विधान सभा उप निर्वाचन के लिए भी चुनाव प्रचार-प्रसार संबंधी समस्त गतिविधियों व अभियानों पर प्रतिबंध रहेगा। चुनाव प्रचार की अवधि समाप्त होने के बाद इन निर्वाचन क्षेत्रों में सभी राजनैतिक दलों के बाहरी कार्यकर्ताओं व पदाधिकारियों की मौजूदगी पूर्णतया प्रतिबंधित रहेगी।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि चुनाव प्रचार अभियान समाप्ति के बाद इन निर्वाचन क्षेत्रों के जिला निर्वाचन अधिकारी यह सुनिश्चित करेंगे कि राजनैतिक दलों के सभी बाहरी पदाधिकारी व कार्यकर्ता इस दौरान निर्वाचन क्षेत्र में उपस्थित न रहें। इसके लिए मतदान से पहले चुनाव प्रचार पर रोक संबंधी आयोग के निर्देश को सभी राजनैतिक दलों, उम्मीदवारों और उनके प्रतिनिधियों के संज्ञान में लाना सुनिश्चित करेंगे। मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि निर्वाचन आयोग द्वारा मतदान के दिन मतदेय स्थलों (पोलिंग बूथ) के अंदर मोबाइल फोन, स्मार्ट फोन, वायरलेस सेट ले जाने पर रोक लगायी गयी है।
कन्नौज में अखिलेश के सामने सुब्रत पाठक
चौथे चरण की इन 13 सीटों में इस बार कई सीटों पर धुरंधरों के बीच मुकाबला है। सबसे अहम चुनाव कन्नौज का है। जहां सपा प्रमुख अखिलेश यादव भाजपा के वर्तमान सांसद सुब्रत पाठक से मुकाबाल हैं। 1998 से लेकर 2014 तक इस सीट पर सपा का ही कब्जा रहा। हालांकि 2019 में बाजी पलट गयी और डिंपल यादव को हरा कर भाजपा के सुब्रत पाठक यहां से सांसद बने।
उन्नाव में साक्षी महाराज के खिलाफ अन्नू टंडन
उन्नाव में मौजूदा सांसद स्वामी साक्षी महाराज के खिलाफ अन्नू टंडन सपा से उम्मीदवार हैं। 2009 के लोकसभा चुनाव में अन्नू टंडन उन्नाव से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़कर लोकसभा पहुंची थीं। हालांकि उसके बाद 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर भाजपा के स्वामी साक्षी महाराज ने जीत दर्ज की।
इटावा में रामशंकर कठेरिया और जितेंद्र तोहरे के बीच मुकबाला
इटावा लोकसभा सीट पर भाजपा को पहली दफा 1998 में कामयाबी मिली जब सुखदा मिश्रा यहां से जीतकर लोकसभा पहुंचीं। इसके बाद 1999 के आम चुनाव में सपा के रघुराज सिंह शाक्य सांसद चुने गये। 2004 में भी वह इस सीट को बचाने में कामयाब रहे। 2009 में सपा के प्रेमदास कठेरिया जीते लेकिन लेकिन 2014 में मोदी लहर में यहां से भाजपा के अशोक दोहरे और फिर 2019 में डा. रामशंकर कठेरिया यहां से एमपी बने। इस बार भी भाजपा ने उन्होंने यहां से टिकट दिया है। वहीं सपा की ओर से जितेंद्र दोहरे मैदान में है। बसपा ने शारिका सिंह बघेल को अपना प्रत्याशी बनाया है।
फर्रुखाबाद
फर्रुखाबाद से बसपा ने क्रांति पांडेय को टिकट दिया है। तो वहीं भाजपा ने मुकेश राजपूत और सपा ने नवल किशोर शाक्य को दांव खेला है।
हरदोई
हरदोई लोकसभा सीट से भाजपा ने जयप्रकाश रावत पर एक बार फिर दांव खेला है। दरअसल 2019 के चुनाव में जयप्रकाश रावत की जीत हुई थी। वहीं सपा ने पूर्व सांसद उषा वर्मा को टिकट दिया है। वह इस सीट से 2 बार सांसद रह चुकी है। बसपा ने भीमराव अंबेडकर को उम्मीदवार बनाया है।
बहराइच
बहराइच लोकसभा सीट से बीजेपी ने अक्षयबर लाल का टिकट काटकर इस बार अरविंद गौड़ को टिकट दिया है। तो वहीं सपा से रमेश गौतम को उम्मीदवार बनाया है। अगर बसपा की बात करें तो बसपा ने इस बार बृजेश कुमार सोनकर को टिकट दिया गया है।
मिश्रिख
मिश्रिख से मौजूदा सांसद अशोक रावत को भाजपा ने एक बार फिर टिकट दिया है। साल 2004 और 2009 में वह बसपा के टिकट पर चुनाव लड़कर लोकसभा पहुंचे थे। वहीं इस बार उनका मुकाबदला सपा के प्रत्याशी संगीता राजवंशी और बसपा के प्रत्याशी बीआर अहिरवार से मुकाबला है।
धौरहरा
सपा ने धौरहरा लोकसभा सीट से आनंद सिंह भदौरिया को मैदान में उतारा है। वहीं भाजपा से बगावत कर बसपा में आए श्याम किशोर अवस्थी को उम्मीदवार बनाया है। अगर भाजपा की बात करें तो भाजपा ने रेखा वर्मा को टिकट दिया है।
खीरी
लखीमपुर खीीर से भाजपा ने तीसरी बार केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी को टिकट दिया है। वहीं इंडिया गठबंधन से सपा ने उत्कर्ष वर्मा और बसपा ने अंशय कालरा को चुनावी मैदान में उतारा है। यहां त्रिकोणीय मुकाबले की संभावना व्यक्त की जा रही है।
कानपुर
कानपुर लोकसभा सीट से इस बार तीन धुरंधरों के बीच मुकाबला है। भाजपा ने रमेश अवस्थी को मैदान में उतारा है। तो वहीं इंडिया गठबंधन से कांग्रेस ने आलोक मिश्र पर भरोसा जताया है। बसपा ने कुलदीप भदौरिया को मैदान में उतारा है।
अकबरपुर
अकबरपुर लोकसभा सीट से भाजपा ने देवेंद्र सिंह को एक बार फिर प्रत्याशी बनाया है। मोदी लहर में देवेंद्र सिंह ने 2014 और 2019 में जीत हासिल की थी। इसके अलावा सपा ने राजा राम पाल को टिकट दिया है। बसपा ने राजेश कुमार द्वीवेदी को अपना उम्मीदवार बनाया है।
शाहजहांपुर
शाहजहांपुर भाजपा ने सांसद अरुण सागर को अपना उम्मीदवार बनाया है। जबकी सपा ने ज्योत्सना गोंड और बसपा ने दोदराम वर्मा पर दांव खेला है। 2014 और 2019 में यहां भाजपा की जीत हुई थी। वहीं, सपा 2009 के बाद से जीत के इंतजार में है। जबकि बसपा का यहां से अभी तक खाता भी नहीं खुला है।