उत्तर प्रदेश में 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक दल पासी समुदाय को लुभाने में अभी से जुट गए हैं। एक तरफ जहां समाजवादी पार्टी और भाजपा के नेता अपने-अपने तरीकों से पासियों को साध रहे हैं, वहीं अब इस लिस्ट में कांग्रेस भी शामिल हो गई है।
कांग्रेस नेताओं ने स्वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारक पासी नेता मसूरिया दीन की आज पुण्य तिथि मनाई। कांग्रेस की ओर से राजधानी लखनऊ के बाहरी इलाके मल्लीहाबाद में कार्यक्रम का आयोजन हुआ। यह पासी बहुल क्षेत्र है। इस दौरान पार्टी विचारक के रूप में पासियों के सशक्तिकरण के लिए उनके योगदान पर चर्चा की गई। साथ ही, पासी नेताओं की उपस्थिति में सेमिनार भी आयोजित किया गया।
मसूरिया दीन तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के साथ 1952 और 1957 में 2 बार फूलपुर लोकसभा क्षेत्र से सह-निर्वाचित हुए थे। ब्रिटिश शासन के दौरान आपराधिक जनजाति अधिनियम को हटाने को लेकर आंदोलन शुरू करने का श्रेय उन्हें दिया जाता है। इसके अलावा, उन्होंने अनुसूचित जाति की शिक्षा के लिए भी काफी काम किया। मालूम हो कि वह संविधान सभा के सदस्य थे और आजादी के बाद विधायक व सांसद चुने गए। पासी समुदाय के लिए आज भी उनका बहुत सम्मान करते हैं।
जाटवों के बाद पासी दूसरा सबसे बड़ा दलित समुदाय
अगर उत्तर प्रदेश की बात करें तो यहां जाटवों के बाद पासी दूसरा सबसे बड़ा दलित समुदाय है। ये लोग राज्य की कुल अनुसूचित जाति आबादी का लगभग 16 प्रतिशत हैं। खासतौर से अवध इलाके में इस समुदाय की बड़ी उपस्थिति है। ध्यान रहे कि फैजाबाद लोकसभा सीट से भाजपा को हराने वाले सपा नेता अवधेश प्रसाद पासी समाज से आते हैं। हाल ही में अपने शपथ ग्रहण समारोह में सपा सांसद ने 2 पासी चेहरों (उदा देवी और महाराजा बिजली पासी) का जिक्र किया था।
इंडिया गठबंधन की ओर बढ़ा पासियों का झुकाव?
पिछले कुछ चुनावों में ऐसे देखा गया है कि पासी समुदाय ने बड़े पैमाने पर भाजपा के पक्ष में वोट दिया है। हालांकि, हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में उनका झुकाव इंडिया गठबंधन की ओर देखा गया। कांग्रेस नेताओं का मानना है कि यह बदलाव गठबंधन में पासी की उपस्थिति के कारण हुआ है। दूसरी ओर, सपा को भी लगता कि यह उसके रैंक में समुदाय की बढ़ती भागीदारी के कारण है। यह स्थिति बीजेपी के लिए जरूर चिंता खड़ी करने वाली है। यह देखना होगा कि भाजपा नेताओं की ओर से इस दिशा में क्या कदम उठाए जाते हैं।