यूपी में निकाय चुनाव के लिए सुप्रीम कोर्ट से मिली हरी झंडी के बाद ओबीसी आरक्षण के संशोधित प्रस्ताव को योगी कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। अब प्रस्ताव को राज्यपाल को भेजा गया है। वहां से मुहर लगते ही अधिसूचना जारी हो जाएगी।
माना जा रहा है कि अगले 48 घंटे के अंदर ही अधिसूचना जारी होगी और अनंतिम आरक्षण की लिस्ट जारी हो सकती है। इस लिस्ट पर एक हफ्ते में आपत्ति मांगी जाएगी। आपत्ति के निस्तारण के बाद अंतिम सूची आएगी और निर्वाचन आयोग चुनावों की घोषणा कर देगा।
मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में सामान्य नगरीय निकाय निर्वाचन-2023 उत्तर प्रदेश नगर पालिका अधिनियम-1916 एवं उत्तर प्रदेश नगर निगम अधिनियम-1959 में संशोधन संबंधी अध्यादेश को रखा गया और मंजूरी दे दी गई। इसके साथ ही कुल 2 प्रस्तावों को योगी कैबिनेट की मुहर लगी है।
पिछड़ा वर्ग आयोग ने राज्य सरकार को आबादी के अनुपात व ट्रिपल टेस्ट के आधार पर ओबीसी के लिए सीटें आरक्षित करने का सुझाव दिया है। अभी आरक्षण प्रदेश स्तर पर आबादी के हिसाब से सीटोंं को बांटते हुए किया जाता है। इससे पिछड़ों को वास्तविक लाभ नहीं मिल पा रहा है।
इसी को देखते हुए मेयर सीटों का आरक्षण प्रदेश, नगर पालिका परिषद अध्यक्ष मंडल और नगर पंचायत अध्यक्ष सीटों का आरक्षण जिला स्तर पर आबादी और सीटों के अनुपात पर करने का सुझाव है। सुझाव के आधार पर ही इसका अधिनियम में प्रावधान किया गया है।
क्या होगा फायदा
किसी सीट पर अगर 10 से 20 फीसदी तक आबादी है तो उसके आधार पर सीटें आरक्षित होंगी। किसी सीट पर 30 से 40 फीसदी अगर आबादी है तो तय कोटे के आधार पर 27 फीसदी तक ही आरक्षण का लाभ दिया जाएगा। अधिनियम के आधार पर ही नियमावली में प्रावधान करते हुए नगर निगम मेयर, पालिका परिषद और नगर पंचायत अध्यक्ष की सीटों का आरक्षण किया जाएगा।
राज्यपाल की मुहर लगते ही सीटों के आरक्षण की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। सीटों के आरक्षण की अनंतिम अधिसूचना बुधवार रात से गुरुवार के बीच कभी भी जारी की जा सकती है। आपत्तियों के लिए सात दिन और निस्तारण दो दिनों में करते हुए अंतिम अधिसूचना जारी कर दी जाएगी।
पिछले चुनाव में आरक्षित सीटें शून्य
सुप्रीम कोर्ट ने 2010 में ट्रिपल टेस्ट के आधार पर सीटों के आरक्षण की व्यवस्था दी थी। उत्तर प्रदेश में इसके बाद वर्ष 2012 व 2017 के चुनाव पुरानी आरक्षण की व्यवस्था के आधार पर हो चुके हैं। इसलिए इन दोनों ही चुनाव में जो सीटें आरक्षित की गई थीं उन्हें शून्य माना जाएगा।
आयोग की सिफारिश के आधार पर आरक्षण का अनुपात तय किया जाएगा। साथ ही यह भी देखा जाएगा कि एससी, एसटी व ओबीसी की कुल आरक्षित सीटें 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए। मेयर व अध्यक्ष की सीटों के आरक्षण में बदलाव होगा और वार्डों में कोई बदलाव नहीं होगा।