यूपी को चार भागों में बांटा जाए, सांसद चंद्रशेखर आजाद ने लोकसभा में उठाई मांग
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यूपी की नगीना सीट से सांसद और आजाद पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद ने बुधवार को संसद में मांग की कि यूपी को चार हिस्सों में बांटा जाए। चंद्रशेखर ने बाबा साहेब आंबेडकर की एक किताब का हवाला देते हुए कहा कि उनका भी मानना था कि राज्य छोटे होने से विकास ज्यादा होता है।

वहां के लोगों को रोजगार मिलता है और खुशहाली आती है। चंद्रशेखर ने इसके साथ ही एससी-एसटी समाज में वर्गीकरण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट का विरोध करते हुए सरकार से इस पर अपना स्टैंड क्लीयर करने की बात कही। यह भी कहा कि इस जजमेंट को लेकर दलित और आदिवासी समाज में बहुत गुस्सा है।

चंद्रेशेखर आजाद ने कहा कि यूपी सबसे बड़ा राज्य है। इसके बाद भी बजट में उसे कुछ भी नहीं मिला है। यहां पर सबसे ज्यादा 80 सदस्य यूपी से जीत कर आए हैं। यूपी में 25 करोड़ से ज्यादा आबादी है। सरकार पांच किलो राशन दे रही है लेकिन यह जीवन जीने के लिए काफी नहीं है। जीने के लिए और भी बुनियादी सुविधाओं की जरूरत होती है। जीवन जीने के लिए जो चाहिए उसके लिए सरकार के पास कोई उपाय भी नहीं है।

चंद्रशेखर ने कहा कि यूपी में भाजपा की सरकार है लेकिन उसकी विकास गति बहुत धीमी है। हमें यूपी की भाजपा सरकार की चिंता नहीं है लेकिन यूपी की जनता की चिंता है। ऐसे में मैं केंद्र सरकार से मांग करता हूं कि यूपी को चार भागों में विभाजित किया जाए। बाबासाहेब आंबेडकर ने भी भाषाई आधार पर राज्यों के गठन की बात कही थी। Thoughts on Linguistic States पुस्तक में बाबासाहेब ने छोटे राज्यों की वकालत की थी। बाबा साहेब आंबेडकर ने कहा था कि राज्य जितना छोटा होगा राज्य की प्रगति उतनी ही ज्यादा होगी। जनता को रोजगार मिलेगा और जनता का जीवन संपन्न होगा।

एससी-एसटी पर जजमेंट को लेकर चंद्रशेखर ने कहा कि सु्प्रीमकोर्ट के जरिए एससी के लोगों के साथ धोखा किया गया है। कहा कि अगर एससी या पिछड़े वर्ग में पिछड़ गई जातियों की इतनी ही चिंता है तो जिस तरह से EWS को दस प्रतिशत आरक्षण दिया गया उसी तरह इन जातियों को भी पांच प्रतिशत आरक्षण दिया जा सकता था। चंद्रशेखर ने दावा किया इस मुद्दे को मैंने पिछले साल उठाया भी था। कहा कि यह हमारे साथ जो खेल किया गया है, इस खेल से बहुत गुस्सा है। सरकार को इसका संज्ञान लेना चाहिए। कहा कि सरकार और विपक्ष दोनों इस पर अपना स्टैंड क्लीयर कर दें। दलित और आदिवासी समाज इसे देख रहा है। जो उसके गले काटने का काम करेगा, दलित समाज उसे छोड़ेगा नहीं।

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