ग्रामीण से शहरी क्षेत्र में आ गए हजारों बिजली ग्राहकों को राहत की उम्मीद है। ग्रामीण बिजली उपभोक्ताओं की बिलिंग को शहरी दर पर किए जाने के योगी सरकार के फैसले पर उपभोक्ता परिषद की शिकायत पर नियामक आयोग ने गंभीर रुख अपनाते हुये पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष व प्रबंध निदेशक से जवाब तलब किया है।
पिछले दिनो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी इसे लेकर योगी सरकार को घेरा था और यहां तक कहा था कि हार से बौखलाई भाजपा लोगों से बदला लेने के लिए ऐसा कर रही है।
परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने बुधवार को बताया कि परिषद ने खुलासा किया था कि वर्ष 2022-23 से उत्तर प्रदेश में फुल कास्ट बिजली दर लागू है जिसमें ग्रामीण घरेलू व शहरी घरेलू सामान भुगतान कर रहा है। उन्होने कहा कि फुल कास्ट बिजली दर लागू होने के बाद वर्ष 2022-23 से ग्रामीण घरेलू उपभोक्ताओं को 24 घंटे वद्यिुत आपूर्ति का पूरा अधिकार है। ऐसे में पिछले दो वर्षों से छह घंटे कम वद्यिुत आपूर्ति पर दरों में रियायत मिलनी चाहिये।
उन्होंने कहा कि उपभोक्ता परिषद की अवमानना याचिका पर विद्युत नियामक आयोग ने परीक्षण शुरू कर दिया है वहीं दूसरी ओर उत्तर प्रदेश वद्यिुत नियामक आयोग ने आज पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष व प्रबंध निदेशक को कडा निर्देश जारी करते हुए कहा आनेको जनपदों में सप्लाई टाइप बदलकर के आईपीडीएस टाउन के नाम पर ग्रामीण विद्युत उपभोक्ताओं की बिलिंग को शहरी दर पर किए जाने व उनसे अधिक धनराशि वसूल किए जाने के मामले पर उपभोक्ता परिषद की बिजली कंपनियों के खिलाफ अवमानना याचिका पर 10 माह से अधिक व्यतीत हो जाने के बाद भी जवाब दाखिल नहीं किया गया जो गंभीर मामला है। आयोग ने नर्णिय लिया है कि पावर कॉरपोरेशन अभिलंब जवाब दाखिल करें अन्यथा पूरे प्रकरण को सू- मोटो मानकर अवमानना की कार्यवाही शुरू कर दी जाएगी।