मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बीते छह वर्षों में प्रदेश की महिलाएं ज्यादा कामकाजी हो गई हैं या यूं कहें महिला श्रमशक्ति को ज्यादा काम मिला है। जी हां, यह खुलासा हाल ही में जारी आवधिक श्रमबल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) रिपोर्ट में हुआ है।
बीते छह वर्षों में यूपी में महिला श्रम बल की भागीदारी में 17.9 फीसदी की वृद्धि हुई है। प्रदेश सरकार का कहना है कि 2017-18 में जहां महिला श्रम शक्ति की भागीदारी महज 14.2 फीसदी थी, वहीं 2022-23 में बढ़कर यह 32.10 फीसदी हो गई है।
आवधिक श्रमबल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) रिपोर्ट के मुताबिक यूपी में 2017-18 में महिला श्रम शक्ति 14.2 फीसदी थी। छह वर्षों में सीएम योगी आदित्यनाथ के मार्गदर्शन में महिलाओं के उत्थान पर विशेष रूप से कार्य शुरू हुआ। सीएम ने इन कार्यों की स्वयं समय-समय पर समीक्षा की तो महज छह वर्ष के भीतर 2022-23 में यह महिला श्रम बल बढ़कर 32.10 फीसदी हो गया है यानी इनकी भागीदारी दर में 17.9 की वृद्धि हुई है। सरकार का दावा है कि योगी के यूपी में सुरक्षा व सम्मान पाकर महिलाएं स्वावलंबन की तरफ तेजी से अग्रसर हुई हैं।
भारत की भागीदारी दर 39.80, यूपी की 32.10 फीसदी
रिपोर्ट के मुताबिक 2022-23 में भारत की भागीदारी दर 39.80 है तो यूपी की 32.10 फीसदी। वहीं 2017-18 में भारत की भागीदारी दर 25.3 फीसदी थी तो उस समय यूपी की भागीदारी दर 14.2 थी यानी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत में महिलाओं की सशक्तिकरण पर ध्यान दिया तो योगी आदित्यनाथ ने यूपी में महिलाओं के स्वावलंबन पर।
केंद्र व प्रदेश की योजनाओं का मिला लाभ
- केंद्र की बेटी बचाओ-बेटी बचाओ योजना में यूपी को 1.90 करोड़ बेटियों को जागरूक किया।
- मिशन शक्ति अभियान के तहत 8.99 करोड़ महिलाएं जागरूक की गईं।
- 1,89,789 आंगनबाड़ी केंद्र स्वीकृत हुए। इनमें से 1,89,014 केंद्र संचालित भी हैं।
- 10 लाख सेल्फ ग्रुप बना एक करोड़ महिलाओं को जोड़ा गया।
- दो लाख से अधिक महिलाओं को पीएम स्वनिधि योजना का लाभ
- सभी 57 हजार से अधिक ग्राम पंचायतों में बीसी सखी की नियुक्ति
- 1.5 लाख से अधिक महिलाओं को यूपी में सरकारी नौकरी।