उपचुनाव में सीट पाने की चाह रखने वाले भाजपा के सहयोगियों को झटका लग सकता है। भाजपा 10 में से नौ सीटों पर खुद लड़ने की तैयारी में है। सिर्फ एक मीरापुर सीट सहयोगी दल रालोद के खाते में जाना तय है।
वहीं मझवां और कटेहरी सीट भी भाजपा इस बार अपने पास ही रख सकती है। वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में यह सीटें निषाद पार्टी को दी गई थीं। नौ सीटों पर लड़ने और उपचुनाव वाली सभी सीटें जीतने के हिसाब से भगवा खेमे ने तैयारी भी शुरू कर दी है।
हालिया लोकसभा चुनाव में यूपी के नौ विधायक लोकसभा पहुंच चुके हैं। इनमें भाजपा के तीन, निषाद पार्टी और रालोद के 1-1, जबकि सपा मुखिया अखिलेश यादव सहित सपा के चार विधायक शामिल हैं। कानपुर की सीसामऊ सीट सपा विधायक इरफान को सजा सुनाए जाने के चलते रिक्त घोषित हो चुकी है। ऐसे में 10 सीटों पर उपचुनाव होने हैं। यूं तो एनडीए के खाते में इनमें से पांच ही विधानसभा सीटें थीं, मगर उपचुनाव वाली अधिकाधिक सीटें जीतकर भाजपा लोकसभा चुनाव से बढ़े विपक्षी मनोबल को तोड़ना चाहती है। मतदाताओं को चुनाव चिन्ह को लेकर कोई भ्रम न हो, सो पार्टी अधिकांश सीटों पर खुद लड़ने का मन बना रही है। उसी हिसाब से पार्टी नेताओं को जिम्मेदारी भी दी जा रही है।
भाजपा ने नौ सीटों के हिसाब से बनाया रोडमैप
भाजपा के सरकार और संगठन जोर-शोर से चुनावी तैयारियों में जुट गए हैं। नौ सीटों पर लड़ने के हिसाब से रोडमैप बनाया गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उपचुनाव वाली सभी सीटों की कमान खुद संभाल रखी है। इन सीटों पर लगाए गए मंत्री समूह और संगठन के पदाधिकारियों संग योगी अब तक तीन बैठकें कर चुके हैं। वे लगातार फीडबैक लेने के साथ ही चुनावी रणनीति पर चर्चा कर रहे हैं। लोकसभा चुनाव में फैजाबाद सीट पर मिली हार के बाद अयोध्या की मिल्कीपुर विधानसभा सीट भाजपा के लिए सर्वाधिक प्रतिष्ठापूर्ण है। पहले चरण में मिल्कीपुर और कटेहरी सीट पर योगी ही चुनावी तैयारियों को परख रहे हैं।
उधर, संगठन के मोर्चे पर प्रदेश महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह अब तक कटेहरी, मिल्कीपुर और गाजियाबाद सीटों पर बूथ स्तरीय तैयारियों को लेकर बैठक कर चुके हैं। प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी भी पहले राउंड में कुंदरकी और मीरापुर सीटों पर चुनावी तैयारियों को गति देंगे जबकि इस चरण में महामंत्री संगठन गाजियाबाद के साथ खैर सीट पर जाएंगे। उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के हिस्से मझवां व फूलपुर और ब्रजेश पाठक के पास करहल और सीसामऊ सीटों की जिम्मेदारी है। मुख्यमंत्री सहित यह पांचों क्षत्रप अगले चरण में दूसरी सीटों पर जाएंगे।
आसान नहीं कई सीटों पर राह
सामाजिक समीकरणों के लिहाज से कई सीटों पर भाजपा की राह आसान नहीं है। यहां पार्टी को अतिरिक्त मेहनत करनी होगी। ऐसी सीटों पर सबसे पहला नाम मैनपुरी की करहल सीट का है, जिसे सपा की सुरक्षित और परंपरागत सीट माना जाता है। इसके अलावा कुंदरकी, सीसामऊ, मिल्कीपुर और कटेहरी सीटों पर भी पार्टी की राह आसान नहीं है।