यूनिफॉर्म सिविल कोड: बदलने होंगे टैक्स से जुड़े कानून! किन लोगों पर पड़ेगा असर, समझें
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान के बाद देश में अचानक यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) पर बहस तेज हो गई है। UCC के लागू होने से ना सिर्फ शादी, तलाक, विरासत आदि से जुड़े कानूनों पर असर पड़ेगा बल्कि हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) और उससे जुड़े आयकर लाभों पर भी असर पड़ने की आशंका है।

ऐसी स्थिति में संभव है कि आयकर कानून में बदलाव करना पड़े। आइए समझते हैं कि आखिर कैसे UCC की वजह से आयकर नियमों को बदलना पड़ सकता है।

क्या है UCC: भारत में समान नागरिक संहिता या यूनिफॉर्म सिविल कोड का मकसद एक समान कानून लागू करना है। दरअसल, भारत में अलग-अलग धर्मों के लिए शादी, तलाक, उत्तराधिकार और गोद लेने के मामलों में अलग-अलग कानून हैं। हालांकि, UCC के लागू होने के साथ ही देश में किसी धर्म, लिंग और लैंगिक झुकाव की परवाह किए बगैर हर किसी पर इकलौता कानून लागू होगा।

HUF क्या है: इसके तहत वो लोग शामिल होते हैं जो एक कॉमन पूर्वज के वंशज हैं। इसमें कर्ता शामिल होता है, जो आम तौर पर परिवार का सबसे बड़ा व्यक्ति या मुखिया होता है। वहीं, परिवार के अन्य सदस्य सहदायिक होते हैं। जब किसी महिला की HUF के सह-साझेदार से शादी होती है तो वह भी स्वत: HUF की सदस्य बन जाती है। इस तरह महिलाओं के पास दो HUF में अधिकार मिलते हैं। वह अपने पिता के HUF में भी सह- साझेदार होती है। बता दें कि जैन, बौद्ध और सिख परिवारों के भी HUF हो सकते हैं।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट: एक HUF अकाउंट की बात करें तो यह इंडिविजुअल अकाउंट के समान ही होता है। टैक्स एक्सपर्ट बलवंत जैन के मुताबिक यह पहले से ही आयकर अधिनियम, 1922 में मौजूद था, जो वर्तमान आयकर अधिनियम 1961 के तहत भी है। जैन ने कहा कि एक अलग कर इकाई होने के नाते इसे 80 सी, 80 डी, 80 डीडीबी, 112ए आदि धाराओं के तहत अलग-अलग टैक्स छूट के अलावा एक अलग टैक्स छूट सीमा का लाभ भी मिलता है।

HUF के लिए आयकर स्लैब एक इंडिविजुअल के समान है। इसके तहत HUF को ओल्ड टैक्स रिजीम के मामले में छूट की सीमा ₹2.5 लाख मिलती है। HUF आयकर अधिनियम की प्रासंगिक धाराओं के तहत सभी टैक्स बेनिफिट के लिए भी योग्य है। हालांकि, न्यू टैक्स रिजीम के मामले में HUF के लिए छूट की सीमा ₹3 लाख है।

UCC के लागू होने के बाद HUF पर प्रभाव
अगर UCC लागू हो जाता है तो HUF की अवधारणा खत्म हो जाएगी। बलवंत जैन के अनुसार, यदि UCC में कोई विशेष प्रावधान नहीं किए गए तो इसके लिए आयकर अधिनियम में संशोधन की जरूरत हो सकती है। उन्होंने आगे कहा कि एक बार कानून लागू हो जाने के बाद, कोई भी हिंदू परिवार में अपने जन्म के कारण पैतृक संपत्ति में किसी भी हित का दावा करने का हकदार नहीं होगा।

बलवंत जैन के अनुसार, UCC लागू होने के बाद न केवल जन्म लेने वाले व्यक्तियों के अधिकारों के बारे में प्रावधान करना होगा, बल्कि मौजूदा संयुक्त परिवार के बारे में भी प्रावधान UCC के तहत या आयकर कानूनों के तहत करना होगा। UCC से करोड़ों हिंदू परिवारों पर असर पड़ने की संभावना है। हालांकि, यह देखना बाकी है कि सरकार हिंदू अविभाजित परिवार की अवधारणा को खत्म करेगी या नहीं।

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