मौलाना शहाबुददीन बोले- शरीयत के खिलाफ कोई कानून मानने को बाध्य नहीं मुसलमान
Sharing Is Caring:

ज्ञानवापी के तहखाने में पूजा के बाद यूसीसी पर मौलानाओं की नाराजगी खुलकर सामने आने लगी है। ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने उत्तराखंड विधानसभा में समान नागरिक संहिता (UCC) बिल पास होने पर कहा कि मुसलमान हर उस कानून को मानने के लिए तैयार है जिससे शरीयत का कोई टकराव न हो।

अगर समान नागरिक संहिता में शरीयत का लिहाज नहीं रखा गया है तो मुसलमान इस कानून को मानने के लिए बाध्य नहीं है। इससे पहले वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर से सटी ज्ञानवापी मस्जिद के तहखाने में कोर्ट के आदेश पर पूजा शुरू होने पर मुस्लिम पक्ष ने खुलकर नाराजगी जताई थी। इसके खिलाफ वाराणसी में एक दिन कारोबार भी बंद रखा गया था। इसके खिलाफ मुस्लिम पक्ष हाईकोर्ट भी पहुंचा है, हालांकि अभी राहत नहीं मिली है।

अब यूसीसी पर मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने कहा कि यूसीसी कमेटी की अध्यक्ष ने 6 महीने पहले अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि हम हर धर्म के विद्वानों से बात करके कानून लाएंगे मगर उनकी कमेटी के लोगों ने मुस्लिम उलमा और मुस्लिम विद्वानों से बात नहीं की है। सलाह मशवरा नहीं लिया इस तरह एकतरफा कानून बनाकर लागू करना संविधान विरुद्ध है।

मौलाना ने कहा यूसीसी जिस उद्देश्य से लाया गया है वही गलत है। भारत में शादी के बहुत सारे मामलात एक पारिवारिक संस्कृति के तौर पर देखे जाते हैं। लिंविंग रिलेशनशिप को मान्यता देना या उस पर कानून बना देना ही भारतीय संस्कृति के विरुद्ध है। इस कानून से भारत की सदियों पुरानी संस्कृति तबाह हो जाएगी और समाजिक व परिवारिक ताना बाना बिखर जाएगा।

मौलाना ने कहा कि भारतीय संस्कृति और शरीयत का पुराना ताल मेल रहा है। शरीयत में भारतीय संस्कृति की बड़ी गुंजाइश है और अगर गहराई से देखें तो कहीं भी टकराव नजर नहीं आता है। मगर इस तरह के बनाएं जा रहे कानूनों की वजह से अब टकराव सामने आने लगा है। सत्ता पक्ष के लोगों की जिम्मेदारी बनती है की वो समाज को टकराव से बचाएं।

Sharing Is Caring:

Related post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *