दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Delhi Chief Minister Arvind Kejriwal) और सांसद संजय सिंह (Sanjay Singh) ने प्रधानमंत्री मोदी की शैक्षणिक डिग्री के संबंध में कथित रूप से अपमानजनक बयान देने के मामले में अपने खिलाफ जारी समन को रद्द किए जाने की गुहार के साथ गुजरात हाईकोर्ट का रुख किया है।
मालूम हो कि सत्र न्यायालय ने समन को रद्द करने से इनकार कर दिया था। केजरीवाल और संजय सिंह ने सत्र अदालत के फैसले को गुजरात उच्च न्यायालय में चुनौती दी है।
केजरीवाल और संजय सिंह दोनों ने हाईकोर्ट में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश जेएम ब्रह्मभट्ट के 14 सितंबर के आदेश को चुनौती दी है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश जेएम ब्रह्मभट्ट ने इस मामले पर केजरीवाल और संजय सिंह के पुनरीक्षण आवेदन खारिज कर दिया था। 21 पन्नों के आदेश में न्यायाधीश ब्रह्मभट्ट ने कहा था कि मजिस्ट्रेट अदालत ने समन जारी करने से पहले सभी तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार किया था। मजिस्ट्रेट के समन के आदेश में कुछ भी गलत नहीं था।
बता दें कि यह मामला गुजरात विश्वविद्यालय की ओर से दाखिल किया गया है। इसमें केजरीवाल और संजय सिंह पर विश्वविद्यालय को कथित तौर पर बदनाम करने का आरोप लगाया गया है। विश्वविद्यालय ने प्रधानमंत्री मोदी की डिग्री का खुलासा नहीं करने पर कथित तौर पर उसके खिलाफ अपमानजनक बयान देने के लिए दोनों राजनेताओं केजरीवाल और संजय सिंह पर मानहानि का वाद दायर किया है।
विश्वविद्यालय की शिकायत के आधार पर, एक मजिस्ट्रेट अदालत ने इस साल अप्रैल में केजरीवाल और संजय सिंह को तलब किया था। अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट (एसीएमएम) जयेशभाई चोवतिया ने बीते 17 अप्रैल को अपने आदेश में कहा था कि केजरीवाल और संजय सिंह के बयान प्रथम दृष्टया मानहानिकारक थे इसलिए अदालत मामले में दोनों को तलब करती है।
मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट अदालत ने एक पेन ड्राइव में साझा किए गए मौखिक और डिजिटल सबूतों पर ध्यान देने के बाद उक्त आदेश पारित किया था। इस पेन ड्राइव में गुजरात हाईकोर्ट के पीएम मोदी की डिग्री से जुड़े मामले में फैसले के बाद केजरीवाल के ट्वीट और भाषण शामिल थे। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में विश्वविद्यालय की अपील को स्वीकार करते हुए कहा था कि विश्वविद्यालय को प्रधानमंत्री मोदी की डिग्री का खुलासा करने की आवश्यकता नहीं है।
हाईकोर्ट ने केजरीवाल पर 25 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया था। केजरीवाल और संजय सिंह के बयानों का जिक्र करते हुए मजिस्ट्रेट अदालत ने कहा था कि आरोपी राजनेता सुशिक्षित राजनीतिक पदाधिकारी थे जो जनता पर अपने बयानों के प्रभाव से भलीभांति अवगत थे। यदि राजनीतिक पदाधिकारी लोगों के प्रति अपना कर्तव्य पूरा करने के बजाय अपनी व्यक्तिगत दुश्मनी के लिए काम करते हैं, तो इसे लोगों के विश्वास पर चोट माना जाएगा।