हमले के डर से 10 आदिवासी विधायक मणिपुर में आगामी विधानसभा सत्र छोड़ सकते हैं। मणिपुर पिछले तीन महीनों से जातीय हिंसा का सामना कर रहा है। हिंसा को खत्म करने में जुटी राज्य सरकार ने प्रस्ताव दिया है कि विधानसभा सत्र 21 अगस्त को बुलाया जाए।
हालांकि, मणिपुर के राज्यपाल ने अभी तक विधानसभा सत्र बुलाने की अधिसूचना जारी नहीं की है।
एनडीटीवी ने कुकी-जोमी सूत्रों के हवाले से लिखा है कि 10 कुकी-जोमी विधायकों ने आदिवासी नेतृत्व के साथ कई बैठकें की हैं और निष्कर्ष निकाला है कि मैतेई-प्रभुत्व वाले इंफाल का दौरा करना जोखिम भरा होगा। उन्हें शारीरिक नुकसान पहुंचने का डर है। साथ ही आदिवासी नागरिक समाज ने आदिवासियों पर हो रहे हमलों के विरोध में सत्र का बहिष्कार करने का भी प्रस्ताव दिया है।
12 मई से राज्य की सत्तारूढ़ भाजपा के सात विधायकों सहित 10 विधायक आदिवासियों के लिए एक अलग प्रशासन की मांग कर रहे हैं। अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मैतेई समुदाय की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किए जाने के बाद 3 मई को मणिपुर में जातीय झड़पें हुईं थीं। तब से इस हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।
बता दें कि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) मणिपुर हिंसा से संबंधित नौ और मामलों की जांच अपने हाथ में लेने वाला है, जिससे एजेंसी द्वारा जांच किए जाने वाले मामलों की कुल संख्या बढ़कर 17 हो जाएगी। घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले अधिकारियों ने कहा कि केंद्रीय एजेंसी की जांच इन 17 मामलों तक सीमित नहीं होगी। उन्होंने कहा कि महिलाओं के खिलाफ अपराध या यौन उत्पीड़न से संबंधित किसी अन्य मामले को भी प्राथमिकता के आधार पर उसे भेजा जा सकता है। अधिकारियों ने कहा कि सीबीआई ने अब तक आठ मामले दर्ज किए हैं, जिनमें मणिपुर में महिलाओं के कथित यौन उत्पीड़न से संबंधित दो मामले शामिल हैं। अधिकारियों ने कहा कि वह नौ और मामलों की जांच की जिम्मेदारी संभालने की प्रक्रिया में है।