माफिया मुख्तार अंसारी के छोटे बेटे उमर अंसारी को बुधवार को बड़ी राहत मिल गई। हेट स्पीच और आचार संहिता उल्लंघन समेत तीन मामलों में फरार उमर अंसारी ने बुधवार को श्वेता चौधरी की एमपी/एमएलए कोर्ट में सरेंडर कर दिया।
सरेंडर के बाद कोर्ट ने उन्हें न्यायिक हिरासत में ले लिया। इस दौरान उमर की तरफ से तीनों मामले में जमानत की अर्जी दी गई। जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया। इसके साथ ही न्यायालय ने गैरजमानती वारंट तथा कुर्की की कार्रवाई निरस्त कर दी।
आचार संहिता उल्लंघन मामले में शहर कोतवाली में एफआईआर दर्ज किया गया था। इसमें अब्बास अंसारी के साथ उमर अंसारी को भी आरोपी बनाया गया था। आरोप था कि 3 मार्च 2022 को विधानसभा चुनाव के दौरान सदर विधानसभा सीट से सुभासपा के प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ रहे अब्बास अंसारी समर्थकों के साथ नगर क्षेत्र के पहाड़पुर मैदान में जनसभा के दौरान कहा कि जनपद मऊ के प्रशासन को चुनाव के बाद रोककर हिसाब-किताब करने व इसके बाद सबक सिखाने की धमकी मंच से दिए थे।
इसमें पुलिस ने विवेचना मे मामले में एफआईआर दर्ज किया था। इस मामले में अब्बास के भाई उमर अंसारी कोर्ट में हाजिर नहीं हो रहे थे, उनके विरुद्ध गैरजमानती वारंट जारी था। इस मामले में उच्च न्यायालय से अग्रिम जमानत स्वीकृति हो चुकी थी। उच्च न्यायालय के आदेश के साथ ही जमानत के लिए अर्जी दी गई थी। जिसे अदालत ने स्वीकार करते हुए रिहा करने का आदेश दिया।
उधर थाना दक्षिण टोला थाना क्षेत्र के आचार संहिता उल्लंघन मामले में लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज किया गया था। मामले में पुलिस ने आरोप पत्र कोर्ट में प्रेषित किया है। मामले में उमर अंसारी के कोर्ट में उपस्थित नहीं होने पर उनके विरुद्ध गैरजमानती वारंट जारी किया गया था। इस मामले में भी जमानत के लिए अर्जी दी गई। एमपी/एमएलए की विशेष मजिस्ट्रेट श्वेता चौधरी की अदालत ने इस मामले में भी जमानत अर्जी स्वीकार कर लिया।
वहीं कोतवाली क्षेत्र के अन्य आचार संहिता उल्लंघन मामले में आरोप है कि अब्बास अंसारी ने समर्थकों के साथ बिना अनुमति के राजारामपुरा से लेकर भरहुकापुरा तक रोड शो निकाला था। इसमें पांच-छह गाड़ियों तथा 100 से 150 लोगों की भीड़ एकत्र हो गई थी।
इस मामले में पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर आरोप पत्र कोर्ट में प्रेषित किया था। मामले में भी अब्बास अंसारी के भाई उमर अंसारी कोर्ट में हाजिर नहीं हो रहे थे, उनके विरुद्ध गैरजमानती वारंट जारी किया गया था। इस मामले में उच्च न्यायालय के आदेश के तहत कोई उत्पीड़नात्मक कार्रवाई नहीं किए जाने का आदेश पारित किया गया है।