मुंबई में गलबहियां, बंगाल में सीपीएम और कांग्रेस ने तृणमूल को बताया दुश्मन
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आगामी लोकसभा चुनाव के लिए विपक्षी दलों के बनाए गए ‘इंडिया’ गठबंधन में भले ही कांग्रेस, टीएमसी और सीपीआईएम साथ हों, लेकिन पश्चिम बंगाल में कांग्रेस और सीपीआईएम टीएमसी के खिलाफ हैं।

उत्तर बंगाल के धुपगुड़ी में 5 सितंबर को होने वाले विधानसभा उपचुनाव के प्रचार के दौरान राज्य कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी और सीपीआई (एम) के राज्य सचिव मोहम्मद सलीम ने तृणमूल कांग्रेस और भाजपा पर जमकर हमला बोला और दोनों को अपना दुश्मन बताया। जिस दौरान बंगाल में अधीर रंजन चौधरी और सलीम अपने साझा उम्मीदवार के समर्थन में जलपाईगुड़ी जिले के धुपगुड़ी में एक रैली को संबोधित कर रहे थे, उसी दौरान मुंबई में कांग्रेस नेता राहुल गांधी, बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और सीपीआई (एम) के राष्ट्रीय महासचिव सीताराम येचुरी इंडिया अलायंस की तीसरी बैठक में मौजूद थे। ऐसे में बंगाल में टीएमसी पर कांग्रेस के हमलावर होने के चलते सवाल उठ रहे हैं कि कहीं इससे राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन में आने वाले समय में कोई दरार न पड़ जाए।

बंगाल कांग्रेस प्रमुख चौधरी ने कहा, ”आपको यह देखने की जरूरत नहीं है कि कहीं और क्या हो रहा है। अखबारों की रिपोर्ट क्या कह रही है, उस पर ध्यान न दें। बंगाल से टीएमसी और बीजेपी दोनों को उखाड़ फेंकना है। कांग्रेस और सीपीआई (एम) उस लक्ष्य को हासिल करने के लिए मिलकर लड़ेंगे।” गुरुवार तक, चौधरी, जो लोकसभा में कांग्रेस पार्टी के नेता भी हैं, ने इंडिया गठबंधन के हित में बंगाल में टीएमसी के सहयोगी बनने की संभावना पर चुप्पी बनाए रखी। धुपगुड़ी के कांग्रेस समर्थित सीपीआई (एम) उम्मीदवार के समर्थन में उनके भाषण से यह स्पष्ट हो गया कि मौजूदा परिस्थितियों में ऐसी संभावना बहुत कम है। चौधरी ने कहा, ‘अगर राजस्थान में (कांग्रेस) सरकार लोगों को 500 रुपये में एलपीजी सिलेंडर दे सकती है तो बीजेपी और टीएमसी ऐसा क्यों नहीं कर सकती। अगर कर्नाटक सरकार बेरोजगार लोगों को 3000 रुपये का मासिक भत्ता और गरीबों को 200 यूनिट तक मुफ्त बिजली दे सकती है, तो भाजपा और टीएमसी क्यों नहीं दे सकती?”

कांग्रेस नेता ने आगे कहा, ”बीजेपी ने देश को मुट्ठी भर पूंजीपतियों को बेच दिया है। भारत की एक प्रतिशत से भी कम आबादी अब देश की 73% संपत्ति पर नियंत्रण रखती है। बीज और खाद की बढ़ती कीमतों से किसान परेशान हैं। बेरोजगारी बढ़ रही है। मणिपुर जातीय हिंसा की वजह से जल रहा है लेकिन प्रधानमंत्री को वहां जाने की जरूरत महसूस नहीं हो रही है। मतदान करते समय अपने चारों ओर देखें और अपनी अंतरात्मा से पूछें। सलीम या मैं जो कह रहे हैं उसके आधार पर निर्णय न लें।”

बता दें कि बंगाल की 42 लोकसभा सीटों में से केवल दो पर कांग्रेस का कब्जा है जबकि टीएमसी के 23 और बीजेपी के 17 सांसद हैं। एक बीजेपी सांसद अर्जुन सिंह टीएमसी में लौट आए हैं, हालांकि उन्होंने लोकसभा से इस्तीफा नहीं दिया है। सीपीआई (एम) इंडिया गठबंधन का हिस्सा है, पार्टी की केंद्रीय समिति ने बंगाल यूनिट को 2024 के लोकसभा चुनावों में टीएमसी के खिलाफ लड़ने की अनुमति दी है, जबकि अन्य राज्य यूनिट्स को अपनी रणनीति बनाने की अनुमति दी है।

वहीं, अपने भाषण में सलीम ने टीएमसी को बीजेपी का सहयोगी बता दिया। सलीम ने कहा, ”दोनों पक्षों के विधायक और सांसद मनमाने ढंग से पाला बदल लेते हैं। लोकसभा अध्यक्ष या विधानसभा अध्यक्ष दलबदल विरोधी कानूनों के तहत कोई कार्रवाई क्यों नहीं करते?” उन्होंने आरोप लगाया कि भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे टीएमसी नेताओं के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों द्वारा जांच भी फर्जी है। सलीम ने कुछ विशिष्ट अदालती सुनवाइयों का हवाला देते हुए कहा, ”कलकत्ता हाई कोर्ट के कई न्यायाधीशों ने हाल के महीनों में इन एजेंसियों की खिंचाई की है और उनसे पूछा है कि शीर्ष टीएमसी नेताओं से पूछताछ क्यों नहीं की जा रही है।”

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