माफिया मुख्‍तार अंसारी को फर्जी शस्त्र लाइसेंस में भी सजा तय, कोर्ट ने दोषी करार दिया
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माफिया मुख्तार अंसारी को फर्जी शस्त्र लाइसेंस के मामले में भी सजा तय हो गई है। वाराणसी में विशेष न्यायाधीश (एमपी-एमएलए) अवनीश कुमार गौतम की कोर्ट में मुख्तार अंसारी को दोषी करार दिया है।सजा पर अदालत कल फैसला सुनाएगी। 27 फरवरी को दोनों पक्षों की ओर से बहस पूरी हो गई थी। इसके बाद कोर्ट ने फैसला सुनाने के लिए 12 मार्च की तिथि नियत की थी। कोर्ट के फैसले के बाद मुख्तार अंसारी के अधिवक्ता ने कहा कि कोर्ट की कॉपी का इंतजार है।हाईकोर्ट में फैसले को चुनौती दी जाएगी। पिछली तारीख पर कोर्ट में आरोपी मुख्तार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीनाथ त्रिपाठी ने लिखित बहस के साथ सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट की कुछ रूलिंग दाखिल की थी। अभियोजन की ओर से अभियोजन अधिकारी उदय राज शुक्ला व एडीजी सी विनय सिंह ने भी रूलिंग दाखिल की थी। मुख्तार अंसारी को इससे पहले भी तीन मामलों में सजा सुनाई जा चुकी है। कई सालों से चल रहे मामलो में पिछले तीन सालों में ही सभी सजा सुनाई गई है।

क्या है पूरा मामला
मुख्तार अंसारी ने दस जून 1987 को दोनाली बंदूक के लाइसेंस के लिए गाजीपुर के जिला मजिस्ट्रेट कार्यालय में प्रार्थना पत्र दिया था। गाजीपुर के तत्कालीन डीएम और एसपी के फर्जी हस्ताक्षर से संस्तुति प्राप्त कर शस्त्र लाइसेंस ले लिया था।मामला उजागर होने पर सीबीसीआईडी ने चार दिसंबर 1990 को मुहम्मदाबाद थाने में मुख्तार अंसारी, तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर समेत पांच नामजद और अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था।जांच के बाद तत्कालीन आयुध लिपिक गौरीशंकर श्रीवास्तव और मुख्तार अंसारी के विरुद्ध कोर्ट में 1997 में आरोप पत्र दाखिल किया गया। सुनवाई के दौरान गौरीशंकर श्रीवास्तव की मृत्यु हो गई थी। इस केस में अभियोजन पक्ष की ओर से प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन और पूर्व डीजीपी देवराज नागर समेत दस गवाहों का बयान दर्ज किया गया था।

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