देश के कई राज्यों की सत्ता का रास्ता महिला वोट बैंक से होकर गुजरना साबित हुआ है. मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, झारखंड के बाद अब इस वोट बैंक को साधने की जुगत में वो राज्य भी लग गए हैं जहां अगले साल चुनाव होने हैं. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 15 दिसंबर से पूरे राज्य में महिला संवाद यात्रा करने वाले हैं. माना जा रहा है कि इसके बाद वो महिलाओं के लिए रेवड़ी की भी घोषणा करेंगे.महाराष्ट्र की लाडली योजना हो या फिर झारखंड की मईया सम्मान योजना के तहत सभी महिलाओं को हर महीने मिलने वाला भत्ता. सत्ता में वापसी के लिए यह योजनाएं तुरुप का पत्ता साबित हुई हैं. झारखंड के बाद अब पड़ोसी राज्य बिहार में भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार यही दांव चलने की तैयारी कर रहे हैं. बिहार में अगले साल विधानसभा के चुनाव प्रस्तावित हैं.
नीतीश का यह दौरा साबित हो सकता है ट्रंप कार्ड
इसको देखते हुए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चुनाव से पहले राज्य भर में महिला संवाद यात्रा करने वाले हैं. वैसे भी नीतीश कुमार अपनी सियासी यात्राओं के लिए जाने जाते हैं. अब तक 14 यात्रा कर चुके नीतीश की कई बार सत्ता वापसी में इन यात्राओं की बड़ी भूमिका रही है. महिलाओं से संवाद और रायशुमारी के बाद ही नीतीश कुमार ने बिहार में शराबबंदी जैसा फैसला लिया था.बिहार में चुनाव के पहले वैसे भी मुद्दे तलाशे जा रहे हैं. विपक्ष जहां आरक्षण और जाति को मुद्दा बनाना चाहता है. वहीं अगर नीतीश कुमार की सरकार महिलाओं के लिए नगद राशि देने जैसी किसी योजना की घोषणा करती है तो यह ट्रंप कार्ड साबित हो सकता है, जिसका काट खोजना विपक्ष के लिए मुश्किल होगा. वैसे भी 33 प्रतिशत आरक्षण देकर नीतीश कुमार महिला वोटबैंक को काफी हद तक अपनी पकड़ मजबूत कर चुके हैं.
ये अंतिम सियासी यात्रा साबित होगी- विपक्ष
हालांकि, विपक्ष का कहना है कि यह नीतीश की अंतिम सियासी यात्रा साबित होगी. वहीं, इसपर पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी का कहा कि यात्रा करना सबका हक है. नीतीश की पार्टी जदयू के प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि नीतीश की इस यात्रा के बाद चुनाव में राजद के दुकान बंद हो जाएगी. बिहार में तेजस्वी, चिराग, उपेंद्र, कुशवाहा, प्रशांत किशोर एक दौर की यात्रा कर चुके हैं. अब बारी उस नीतीश कुमार की है जो सियासी यात्राओं के माहिर खिलाड़ी रहे हैं.
आइए जानते हैं बिहार की 14 बार यात्राओं के द्वारा परिक्रमा लगा चुके नीतीश ने कब कब, किस नाम से यात्राएं की हैं.
नीतीश कुमार ने 2005 में मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली बार बिहार यात्रा की शुरुआत की. उनकी पहली यात्रा का नाम ‘न्याय यात्रा’ था. इसके बाद नीतीश ने अलग-अलग समय पर अलग-अलग वजह और मकसद से यात्राएं की.
नीतीश ने लोकसभा चुनाव 2009 से पहले जनवरी में ‘विकास यात्रा’ की तो जीत के बाद जून में ‘धन्यवाद यात्रा’ पर गए. वहीं, लालू यादव और राबड़ी देवी के सत्ता को समाप्त करने के बाद जब नीतीश कुमार ने सत्ता का कमान संभाला तब वो अपने काम को लेकर जनता के बीच गए थे.
नीतीश अपने पहले टर्म 2005 से 2010 तक जो काम उनके सरकार या उनके नेतृत्व में किया गया उसको जनता के बीच गिनवाने के लिए उनके अगले यात्रा की शुरुआत हुई. जिसको प्रवास यात्रा कहा गया.
नीतीश ने 2010 के अप्रैल में विश्वास यात्रा की. जिसने उनका नेतृत्व और वोट बैंक काफी मजबूत हुआ और उसके परिणाम में 2010 के चुनाव में जेडीयू 115 सीट के साथ राज्य में अपने सबसे शानदार प्रदर्शन करने वाली पार्टी बनी.
विधानसभा चुनाव में शानदार जीत के बाद नीतीश कुमार ने 2011 में सेवा यात्रा की. फिर नीतीश कुमार ने 2012 में बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने की मांग के साथ अधिकार यात्रा पर निकले.
इसके बाद नीतीश कुमार की अगली यात्रा 2014 में लोकसभा चुनाव से पहले निकली जिसका नाम संकल्प यात्रा था. इस लोकसभा चुनाव में मिले झटके से उबरकर बिहार विधानसभा चुनाव 2015 में अच्छे प्रदर्शन की आस में फिर संपर्क यात्रा पर निकले.
2015 में महागठबंधन सरकार बनाने के बाद नीतीश ने सात निश्चय लागू किया और उसका असर देखने 2016 में निश्चय यात्रा करने निकले. नीतीश ने 2017 में समीक्षा यात्रा, 2019 में जल जीवन हरियाली यात्रा, 2021 में समाज सुधार यात्रा और 2023 में समाधान यात्रा की है.