महाकुंभ : विराट सम्मेलन में हुई विभिन्न विषयों पर चर्चा, संतों ने कहा- सबको सनातन के लिए होना है एक
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विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने प्रयागराज के कुंभ मेला क्षेत्र में विराट सम्मेलन का आयोजन किया। विहिप ने कहा कि अब समय आ गया है कि सरकारें हिंदू मंदिरों को उन्हें वापस करें और इसके लिए विजयवाड़ा में ढाई लाख लोगों के साथ आंदोलन शुरू हो गया है, जिसे गति दी जाएगी।महाकुंभ नगर में विहिप की ओर से आयोजित विराट संत सम्मेलन के बाद पत्रकारों से मुखातिब विश्व हिंदू परिषद अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा, ‘आने वाले दिनों में हम मंदिरों को मुक्त कराने के लिए आंदोलन तेज करेंगे। सरकारें मंदिरों का धन कानूनी या गैर-कानूनी तरीके से अपने खाते में डाल रही हैं, जो बंद होना चाहिए।’इससे पहले आलोक कुमार ने बैठक के दौरान उठाए जाने वाले प्रमुख मुद्दों पर आईएएनएस से खास बातचीत में बताया, “कल हमारे मार्गदर्शक मंडल की बैठक में जो चर्चा हुई थी, उन्हीं विषयों को आगे बढ़ाने की बात है। परिवार में हिंदू संस्कार रहे, अगली पीढ़ी हिंदुत्व को सीखे और समझे, और उस पर आचरण करे। परिवार में सही उम्र में बच्चों की शादी हो, हर परिवार में दो-तीन बच्चे हों जिससे जनसंख्या स्थिर रहे।”उन्होंने कहा कि इसके अलावा सरकार से मंदिरों को वापस लेने पर चर्चा हुई है। काशी-मथुरा के बारे में हमने इस निश्चय को दोहराया है कि हमें यह मंदिर वापस चाहिए। आने वाले दिनों में हम मंदिरों को मुक्त कराने के लिए आंदोलन तेज करेंगे। उन्होंने आगे कहा कि बांग्लादेश का समर्थन जारी रहेगा। कोड ऑफ कंडक्ट को लेकर चर्चा हुई है लेकिन अभी कुछ भी ठोस स्थिति नहीं है। इन सब विषयों पर चर्चा हुई है और इसको आगे बढ़ाएंगे।वहीं, संत आत्मानंद सरस्वती महामंडलेश्वर ने संत सम्मेलन में हुई चर्चा पर आईएएनएस से बताया, “सनातन के विषय में बड़ी चर्चा रही। हम सबको सनातन के लिए एक होना है। सनातन की मर्यादा और उच्च मूल्यों को स्थापित करने के लिए चर्चा हुई।”
इस अवसर पर जगतगुरु रामानुजाचार्य ने कहा, “विराट कुंभ सम्मेलन के अवसर पर सभी संतों ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया है कि भारतीय संविधान के अंदर जो लोकसभा में वर्शिप एक्ट 1991 पारित किया गया है उसको समाप्त करना चाहिए और मौलिक अधिकार भारतीय लोगों का बना रहना चाहिए। वर्शिप एक्ट से भारतवासियों का मौलिक अधिकार समाप्त होता है। कोई भी ऐसा संविधान जिसमें मौलिक अधिकार खंडित हो रहा हो, वह हमें मान्य नहीं होना चाहिए। पता नहीं इसे कैसे लोकसभा में पास कर दिया गया और इस पर बहस भी नहीं हुई। यह हिंदुओं के ऊपर एक तरह का षड्यंत्र है।

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