ममता बनर्जी प्रशासन को दोहरा झटका लगा है। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने खुद के द्वारा दिए पहले के आदेश को वापस लेने के लिए एक अंतरिम आदेश पारित करने से इनकार कर दिया है। पहले आदेश में हाईकोर्ट में सीबीआई और ईडी को टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी से स्कूल भर्ती घोटाले में पूछताछ करने की अनुमति दी थी।
अदालत ने राज्य भर के नागरिक निकायों में भर्ती घोटाले की सीबीआई जांच की अनुमति देने वाली एकल पीठ की तरफ से पारित पिछले आदेश के खिलाफ पश्चिम बंगाल सरकार की एक समीक्षा याचिका को भी खारिज कर दिया।
इस सप्ताह की शुरुआत में न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा की पीठ ने बनर्जी को नौकरी घोटाले में जांच एजेंसियों के साथ सहयोग करने का निर्देश दिया था। उच्च न्यायालय के अधिवक्ता फिरदौस शमीम ने मीडिया को बताया, “अभिषेक बनर्जी ने 13 अप्रैल के आदेश को वापस लेने के लिए दो आवेदन दायर किए जिसमें न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय ने सुझाव दिया था कि ईडी और सीबीआई को बनर्जी से पूछताछ करनी चाहिए। एक अन्य अर्जी में उन्होंने मामले में पक्षकार बनने की मांग की थी। कोर्ट ने कोई अंतरिम आदेश देने से इनकार कर दिया। यह सोमवार को फिर से मामले की सुनवाई करेगा।”
इस मामले की सुनवाई पहले जस्टिस गंगोपाध्याय कर रहे थे, जिन्होंने 13 अप्रैल को सीबीआई और ईडी को मामले में टीएमसी सांसद से पूछताछ करने का सुझाव दिया था। इसके बाद अभिषेक बनर्जी ने उच्चतम न्यायालय का रुख किया और शीर्ष अदालत ने न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय की तरफ से पारित निर्देशों पर बनर्जी के खिलाफ सभी कार्रवाइयों पर रोक लगा दी। 28 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने बाद में भर्ती घोटाले से संबंधित मामलों को न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा की खंडपीठ को सौंप दिया।
एक अन्य संबंधित मामले में न्यायमूर्ति सिन्हा की पीठ ने न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय की पीठ द्वारा पारित पहले के आदेश पर कोई अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया, जिसने नागरिक निकायों में कर्मचारियों की भर्ती में कथित अनियमितताओं की सीबीआई जांच का आदेश दिया था।
ईडी ने स्कूल भर्ती घोटाले में शामिल मनी लॉन्ड्रिंग ट्रेल की जांच करते हुए एक अन्य संभावित घोटाले से संबंधित दस्तावेजों पर हासिल हुए, जिसमें नागरिक निकायों में कर्मचारियों की भर्ती में अनियमितताएं शामिल थीं। बाद में कलकत्ता उच्च न्यायालय ने सीबीआई को नागरिक निकायों में भर्ती रैकेट की जांच करने का आदेश दिया। सीबीआई ने अप्रैल में एफआईआर दर्ज की थी। हालांकि, राज्य ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। शीर्ष अदालत के आदेश पर कलकत्ता उच्च न्यायालय ने बाद में नगर पालिकाओं में भर्ती घोटाले से संबंधित मामले को न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा की खंडपीठ को सौंप दिया।