मजदूरों को एक-एक लाख की मदद, बौखनाग देवता का मंदिर भी बनवाएगी धामी सरकार
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उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सिलक्यारा टनल में फंसे 41 मजदूरों को सही सलामत बाहर निकाल लिया गया है। वहीं, ऑपरेशन के सफल होने के बाद सीएम धामी ने बड़े ऐलान किए। उन्होंने मंगलवार को प्रेस कांफ्रेंस में ऐलान किया कि सभी 41 मजदूरों को उत्तराखंड सरकार 1-1 लाख रुपए की राहत राशि देगी।

इसके साथ ही वह इन मजदूरों की कंपनियों से अनुरोध करेंगे कि इन्हें 15 या 30 दिन के लिए बिना सैलरी काटे छुट्टी भी दी जाएगी। साथ ही उन्होंने कहा कि अब टनल के मुहाने पर बाबा बौखनाथ का मंदिर भी स्थपित किया जाएगा।

साथ ही सीएम ने ऐलान किया कि अब राज्य में जितनी भी टनल निर्माणाधीन हैं और उनकी समीक्षा की जाएगी। हालांकि केंद्र सरकार और केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्रालय इसके लिए पहले ही आदेश जारी कर चुका है, लेकिन राज्य सरकार भी अपने स्तर पर इन सभी टनलों की समीक्षा कराएगी। जिससे आगे से ऐसी आपदा का सामना ना करना पड़े।

बता दें कि उत्तराखंड में सिलक्यारा सुरंग में पिछले 16 दिन से फंसे सभी 41 श्रमिकों को मंगलवार को सकुशल बाहर निकाल लिया गया। अधिकारियों ने बताया कि श्रमिकों को एक-एक करके 800 मिमी के उन पाइपों के जरिए बाहर निकाला गया जिन्हें मलबे में ड्रिल करके अंदर डालकर एक रास्ता बनाया गया था।

चारधाम यात्रा मार्ग पर निर्माणाधीन साढ़े चार किलोमीटर लंबी सिलक्यारा-बड़कोट सुरंग का 12 नवंबर को एक हिस्सा ढहने से उसमें फंसे श्रमिकों को निकालने के लिए युद्धस्तर पर अभियान चला रहे बचावकर्मियों को 17वें दिन यह सफलता मिली। मजदूरों को निकाले जाने के दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग राज्य मंत्री जनरल (सेवानिवृत्त) वीके सिंह भी मौजूद रहे। बाहर निकल रहे श्रमिकों को मुख्यमंत्री ने अपने गले लगाया तथा उनसे बातचीत की। बचाव कार्य में जुटे लोगों के साहस की भी उन्होंने सराहना की। मजदूरों को बाहर निकाले जाने के बाद सुरंग के बाहर खड़ी एंबुलेंस के जरिए उन्हें सिलक्यारा से 30 किलोमीटर दूर चिन्यालीसौड़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में बनाए गए अस्पताल में ले जाया गया।

इस मौके पर मुख्यमंत्री ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि श्रमिकों और उनके परिजनों के चेहरे की खुशी ही उनकी ‘ईगास और बग्वाल’ (दीवाली के दस दिन बाद पर्वतीय क्षेत्र में मनाई जाने वाली दीवाली) है। उन्होंने अभियान के सफल होने का श्रेय बचाव दल की तत्परता, तकनीकी मदद, अंदर फंसे श्रमिकों की जीवटता, प्रधानमंत्री द्वारा पल-पल की गई निगरानी और बौखनाग देवता की कृपा को दिया।

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