भारत पिछले साल से ही रूसी तेल को भारी छूट पर खरीदता आया है लेकिन अब स्थिति बदल रही है. वित्त वर्ष 2023 के अधिकांश समय में रूसी कच्चे तेल पर भारत को मिली भारी छूट में गिरावट आई है.
मामले से परिचित दो सरकारी अधिकारियों ने कहा कि इसके पीछे दो कारण हैं, पहला- चीन का रूस से अधिक तेल खरीदना और दूसरा- तेल उत्पादक देशों का उत्पादन में कटौती करना.
फरवरी 2022 में रूस के यूक्रेन पर आक्रमण के बाद अमेरिका समेत पश्चिमी देशों ने रूस पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए हैं. रूसी तेल को भी प्राइस कैप के अधीन कर दिया जिसके बाद रूस ने भारत समेत कई देशों को सस्ती दरों पर कच्चे तेल की पेशकश की.
भारत ने रूस के ऑफर को स्वीकार कर लिया और उसे रूसी कच्चे तेल पर 15-20 डॉलर प्रति बैरल की छूट मिली. लेकिन अब इस छूट में भारी कमी आई है. नाम न बताने की शर्त पर सरकारी अधिकारियों ने कहा कि अब यह छूट कम होकर 10 डॉलर हो गई है और कभी-कभी तो यह छूट पांच डॉलर भी पहुंच जाती है.
एक अधिकारी ने मिंट से बात करते हुए कहा, ‘रूसी तेल को अब अधिक खरीदार मिल गए हैं और इसी के साथ ही भारतीय रिफाइनरी कंपनियों को कच्चे तेल पर मिलने वाली छूट कम हो गई है. पहले हमें अलग-अलग कार्गो पर अलग-अलग तरह से छूट मिल रही थी.’
अब तक भारतीय रिफाइनरों को 15-20 डॉलर प्रति बैरल की औसत छूट मिलती थी और रूसी तेल कंपनियां ही कच्चे तेल को पहुंचाने के लिए ट्रांसपोर्टेशन रिस्क लेती थीं. लेकिन अब ऐसा लगता है कि भारत को रूसी तेल पर 10 डॉलर प्रति बैरल से ज्यादा की छूट नहीं मिलेगी.
रूस बना चीन का शीर्ष कच्चा तेल आपूर्तिकर्ता
दुनिया के दूसरे सबसे बड़ा तेल खरीदार चीन ने युद्ध शुरू होने के कुछ समय बाद से रूसी तेल की भारी खरीद की है. वह रूस के शीर्ष तेल खरीददारों में शामिल हो गया है. चीनी सरकार के आंकड़ों के अनुसार, जनवरी और फरवरी 2023 के दौरान रूस सऊदी अरब को पीछे छोड़ते हुए उसका शीर्ष तेल आपूर्तिकर्ता बन गया. चीन ने जनवरी-फरवरी में 19.4 लाख बैरल प्रति दिन रूसी कच्चा तेल आयात किया.
पिछले साल की इसी अवधि में चीन ने रूस से 15.7 लाख बैरल प्रति दिन तेल आयात किया था.यानी अब चीन के रूसी तेल की प्रतिदिन खरीद में 23.8% का उछाल आया है.
वहीं, दूसरे सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘हमें रूसी तेल कार्गो पर प्रति बैरल 15-20 डॉलर की छूट मिलती थी, जो इस बात पर निर्भर करता था कि बाजार में तेल की कीमत क्या चल रही है. यह छूट अब कम हो गई है.’
कच्चा तेल उत्पादन में कमी
रूस सहित पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) प्लस ने उत्पादन में अतिरिक्त 11.6 लाख बैरल प्रतिदिन की कटौती की घोषणा की है जो अगले महीने से प्रभावी होगी.
भारत ने फरवरी 2023 के मध्य तक रूस के करीब 30 अरब डॉलर का कच्चा रियायती तेल खरीदा है. रियायती रूसी तेल ने भारत की पेट्रोलियम उत्पादों की बढ़ती मांग को पूरा करने में मदद की. वित्त वर्ष 23 में 22.230 करोड़ टन पेट्रोलियम उत्पादों की खपत हुई, जो पिछले साल की तुलना में 10.2% अधिक है.
एक सरकारी रिफाइनरी के अधिकारी ने कहा, ‘रूसी तेल पर हमें कम छूट मिल रही है और तेल बाजार इस कमी को महसूस कर रहा है.’
रूसी तेल में भारी छूट से भारतीय रिफाइरों को हुआ है बड़ा लाभ
रूसी तेल पर भारी छूट से सरकारी रिफाइनरों को अपने सकल रिफाइनिंग मार्जिन (Gross Refining Margin, GRM) में सुधार करने में भी मदद मिली है. पिछले साल अप्रैल से लेकर दिसंबर तक नौ महीनों में रूस से खरीदे गए रियायती तेल से सरकारी रिफाइनरों को अपने रिफाइनिंग मार्जिन को दोगुना करने में मदद मिली थी.
PPAC के आंकड़ों के अनुसार, इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन का जीआरएम 8.52 डॉलर से बढ़कर 21.08 डॉलर प्रति बैरल, हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन का 4.50 डॉलर से 1.40 डॉलर प्रति बैरल, भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन का 6.78 डॉलर से 20.08 डॉलर प्रति बैरल हो गया.
भारत के पास फिलहाल 23 तेल रिफाइनरी कंपनियां है जो प्रतिवर्ष 24.936 करोड़ टन से अधिक तेल रिफाइन करती हैं. भारत 2025 तक अपनी शोधन क्षमता को 400 मीट्रिक टन प्रति वर्ष तक बढ़ाने पर काम कर रहा है. बड़े भारतीय रिफाइनरों में इंडियन ऑयल कार्पोरेशन, भारत पेट्रोलियम कार्पोरेशन, हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कार्पोरेशन, नायरा एनर्जी लिमिटेड शामिल हैं.