भारत के आगे गिड़गिड़ा रही पाकिस्तानी संसद, बहाल करना चहाती है दोस्ती
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गले तक कर्ज में डूबे पाकिस्तान अपनी जनता की माली हालत को सुधारने में कई तकड़म लगा रहा है। पाकिस्तान ने अगस्त 2019 में जम्मू और कश्मीर से अनुच्छेद 370 के खात्मे के बाद दिखावा करते हुए जहां अपने उच्चायुक्त को वापस बुला लिया था और राजनयिक संबंधों को कम कर दिया था।

अब वही पाकिस्तान वापस से भारत के साथ अपने राजनयिक संबंध बहाल करना चाहता है। तंग हाली में गुजर बसर कर रहे पाकिस्तान के लिए देश चलाने की चुनौतियों की कोई सीमा नहीं है। ऐसे में पाकिस्तान को अब भारत की याद सताने लगी है। पाकिस्तानी संसद की एक स्थायी समिति ने भारत को इस्लामाबाद में अपने उच्चायुक्त को दोबारा से शुरू करने की गुजारिश की है। मगर सवाल ये है क्या पाकिस्तान की इस अपील पर भारत कोई कदम उठाएगा?

भारत हमेशा से कहता आया है कि सीमा पार आतंकवाद के खात्मे के बिना पाकिस्तान से कोई भी द्विपक्षीय वार्ता नहीं होगी। उधर पाकिस्तान खुद को आतंकवाद का सबसे बड़ा पीड़ित देश बताता है। पाकिस्तान में विदेश मामलों पर नेशनल असेंबली की स्थायी समिति ने सिफारिश की कि भारत और पाकिस्तान को एक-दूसरे की राजधानी में उच्चायुक्तों को बहाल करना चाहिए।

पाकिस्तानी विदेश सचिवालय की तरफ से जारी एक आधिकारिक हैंडआउट में पाकिस्तानी विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी की हाल की भारत यात्रा के बारे में जानकारी दी गई थी। साथ ही यह रेखांकित किया गया था कि एससीओ के विदेश मंत्रियों की परिषद में मंत्री की भागीदारी ने एससीओ की जरूरत को फिर से बढ़ावा मिला है। पाकिस्तान को विश्वास है कि विदेश मामलों में एससीओ को ज्यादा तरजीह देने से पाकिस्तान क्षेत्रीय शांति, सुरक्षा, आर्थिक समृद्धि और कनेक्टिविटी को बढ़ावा मिलेगा।

बता दें एससीओ का शिखर सम्मेलन चार जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में होगा। विदेश मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान और चीन एससीओ के 22वें शिखर सम्मेलन में शामिल होंगे। सदस्य देशों के अलावा, पीएम मोदी की अध्यक्षता वाले आभासी शिखर सम्मेलन में ईरान, बेलारूस और मंगोलिया को पर्यवेक्षक राज्यों के रूप में आमंत्रित किया गया है। एससीओ की परंपरा के बाद अतिथि देश तुर्कमेनिस्तान को भी आमंत्रित किया गया है। संयोग से, दुनिया की 40 प्रतिशत आबादी एससीओ के 8 सदस्य देशों में रहती है। दुनिया की 30 फीसदी जीडीपी इन्हीं देशों के कंट्रोल में है। पिछले साल दिसंबर में, मोदी ने उज्बेकिस्तान के समरकंद में संगठन के शिखर सम्मेलन में भाग लिया था।

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