चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भारत में होने वाले जी-20 सम्मेलन में हिस्सा नहीं लेंगे। उनकी जगह चीन के प्रधानमंत्री ली कियांग अपने देश का प्रतिनिधित्व करेंगे। वैसे तो चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने शी चिनपिंग के जी-20 बैठक में शामिल न होने की वजह बताने से इंकार कर दिया है।
लेकिन यह बात खुलकर सामने आ गई है कि सीमा विवाद का असर भारत और चीन के संबंधों पर दिखाई दे रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी जिनपिंग के जी-20 सम्मेलन में न आने पर निराशा जताई। आखिर जिनपिंग भारत में हो रहे इस सम्मेलन से दूरी क्यों बना रहे हैं, इसके पीछे यह हो सकती हैं वजहें…
झूठे नक्शे के चलते बनाई दूरी?
हाल ही में चीन ने एक तथाकथित स्टैंड मैप जारी किया है, जिसमें अरुणाल प्रदेश और अक्साई चिन के साथ-साथ ताइवान और दक्षिणी चीनी समुद्र पर भी दावा कर दिया है। वैसे तो चीन हर साल ही स्टैंडर्ड मैप जारी करता है, लेकिन यह पहली बार है जब भारत ने इस नक्शे को लेकर विरोध दर्ज कराया है। भारत ने चीन के दावे का पुरजोर विरोध किया है। वैसे चीन द्वारा जी-20 सम्मेलन से ठीक पहले यह नक्शा जारी करने की टाइमिंग भी थोड़ी चौंकाने वाली रही। बता दें कि हाल ही में जोहानसबर्ग में संपन्न हुए ब्रिक्स सम्मेलन में पीएम मोदी ने जिनपिंग से मुलाकात के दौरान एलएसी पर हालात को लेकर चिंता जताई थी।
सीमा विवाद भी हो सकता है वजह
बीते कुछ दिनों में भारत और चीन के बीच सीमा विवाद के कई मामले सामने आए हैं। इसके चलते दोनों देशों के रिश्ते ठंडे पड़ रहे हैं। तीन साल पहले लद्दाख में तनाव के चलते झड़प भी हुई थी, जिसमें 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए थे। इसके बाद से यह ऊबड़-खाबड़ पहाड़ी क्षेत्र में लंबे समय से चल रहे गतिरोध में बदल गया, जहां दोनों पक्षों ने तोपखाने, टैंक और लड़ाकू विमानों समेत हजारों सैन्य कर्मियों को तैनात किया है। इसके अलावा व्यापार और चीन के मुख्य प्रतिद्वंद्वी अमेरिका के साथ भारत के बढ़ते रणनीतिक संबंधों को लेकर भी टकराव बढ़ा है। भारत और चीन दोनों ने एक-दूसरे के पत्रकारों को निष्कासित कर दिया है।
यह वजहें भी अहम
ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी के राजनीतिक वैज्ञानिक वेन-ती सुंग ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेने के तुरंत बाद जिनपिंग जी-20 में नहीं आ रहे हैं। पश्चिमी देशों से भरे इस ग्रुप की मीटिंग में शामिल न होकर शायद वह इन देशों को नीचा दिखाना चाह रहे हैं। इसके अलावा ऐसा करके वह अपने रूसी दोस्त पुतिन का भी साथ निभा रहे हैं, जो खुद भी इस मीटिंग में नहीं आ रहे। वहीं,
नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर में ली कुआन यू स्कूल ऑफ पब्लिक पॉलिसी में एसोसिएट प्रोफेसर अल्फ्रेड वू ने कहा कि घरेलू मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने के कारण शी विदेश यात्रा करने के लिए अनिच्छुक हो सकते हैं। वू ने कहा कि शी चिनपिंग अपना एजेंडा तय कर रहे हैं। उनकी चिंता राष्ट्रीय सुरक्षा है और उन्हें चीन में रहना होगा।