मालदीव के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने पदभार संभालने के बाद भारतीय सैनिकों को निष्कासित करने की कसम खाई थी। वे ऐसे बयान दे रहे थे जिससे भारत और मालदीव में तनाव बढ़ सकता था, लेकिन अब उनके तेवर ठंडे पड़ते दिख रहे हैं।मालदीव के राष्ट्रपति भारत को नाराज नहीं करना चाहते हैं। उन्होंने साफ किया है कि भारत के सैनिकों के बाद मालदीव में चीनी सैनिकों को भी नहीं जगह दी जाएगी।रणनीतिक रूप से स्थित हिंद महासागर द्वीपसमूह पर एक इंटरव्यू में राष्ट्रपति ने कहा, “मालदीव भू-राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता में उलझने के लिए बहुत छोटा है। मुझे मालदीव की विदेश नीति को इसमें शामिल करने में कोई खास दिलचस्पी नहीं है।”सितंबर में मुइज्जू की चुनावी सफलता मालदीव में भारत के बड़े राजनीतिक और आर्थिक दबदबे के खिलाफ निरंतर अभियान और विशेष रूप से भारतीय सेनाओं को देश से बाहर करने की उनकी प्रतिज्ञा पर निर्भर थी। हालांकि, उन्होंने कहा है कि वह चीन या किसी अन्य देश को भारतीय सैनिकों की जगह लेने की इजाजत नहीं देंगे और उन्होंने बीजिंग के करीब होने की खबरों को खारिज कर दिया। वह इस बात पर जोर देते हैं कि वह केवल मालदीव समर्थक हैं।
‘भारत-चीन समेत सभी देशों संग मिलकर कर रहे काम’
45 वर्षीय नेता ने राजधानी माले में अपने घर पर कहा, “हम सभी देशों, भारत, चीन और अन्य सभी देशों के साथ मिलकर काम करने जा रहे हैं।” मुइज्जू ने कहा कि उन्हें अनुमानित 50 से 75 भारतीय सैनिकों की वापसी पर नई दिल्ली के साथ औपचारिक बातचीत शुरू होने की उम्मीद है, जो एक संवेदनशील अभियान मुद्दा है। उन्होंने आगे कहा, “मालदीव के लोगों ने मालदीव में किसी भी सैन्य उपस्थिति की अनुमति देने के लिए मुझे वोट नहीं दिया। इसलिए हम उन्हें हटाने के लिए भारत सरकार से बात कर रहे हैं और मुझे यकीन है कि हम शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीके से ऐसा कर सकते हैं।”
‘मैं यह नहीं कह रहा हूं कि भारतीय सैनिक…’
मुइज्जू ने कहा कि उनका काम मालदीव को उसके विशाल समुद्री क्षेत्र में गश्त करने के लिए उपहार में दिए गए तीन विमानों को संचालित करने के लिए तैनात भारतीय सुरक्षा कर्मियों की एक यूनिट को हटाना था। उन्होंने कहा, “मैं यह नहीं कह रहा हूं कि भारतीय सैनिक हमारे देश से चले जाएं ताकि किसी अन्य देश को अपनी सैन्य टुकड़ियां यहां लाने के लिए जगह मिल सके।” मुइज्जू ने कहा कि मालदीव के लिए, यह बहुत महत्वपूर्ण है कि हम अपने हितों को पहले रखें… साथ ही हम सभी देशों के साथ मिलकर काम करना चाहते हैं, अच्छे मैत्रीपूर्ण संबंध, सौहार्दपूर्ण, स्पष्ट संबंध रखना चाहते हैं। उन्होंने कहा, ”हम एक बहुत ही रणनीतिक स्थान पर स्थित हैं, जहां से संचार के कई समुद्री मार्ग हमारे देश से होकर गुजरते हैं।” उन्होंने कहा कि वह बंदरगाहों और लॉजिस्टिक्स को विकसित करने के साथ-साथ कर-मुक्त क्षेत्र स्थापित करने के लिए विदेशी निवेश को आमंत्रित कर रहे हैं।