बिहार में जातीय गणना (सर्वेक्षण) जारी रहेगी। पटना हाईकोर्ट ने रोक हटाते हुए राज्य में जाति आधारित गणना की वैधता को चुनौती देनेवाली सभी छह रिट याचिकाओं को खारिज कर दिया है। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति के विनोद चन्द्रन और न्यायमूर्ति पार्थ सारथी की खंडपीठ ने मंगलवार को 101 पन्नों का आदेश दिया।कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि राज्य सरकार योजनाएं तैयार करने के लिए सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक स्थिति को ध्यान में रख गणना करा सकती है। गणना व्यक्तिगत परिवारों की होनी है और इससे उनकी जाति की पहचान करना संभव होता है। जातिगत पहचान पर आधारित वर्ग या समूह, जो पिछड़े हैं उनकी गणना करने से भविष्य में सरकारी योजना का लाभ देना आसान होगा।
कोर्ट का कहना है कि सरकार ने पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए विकासात्मक गतिविधियों को शुरू करने और उसे कार्यान्वित करने के उद्देश्य से बिहार राज्य के मूल निवासियों के व्यक्तिगत विवरण एकत्र करने के लिए एक सर्वेक्षण शुरू करने का निर्णय लिया था। इसे दोनों सदनों से अनुमति मिली है। राज्यपाल के भाषण में भी इसका जिक्र किया गया है। राज्य सरकार ने इसके लिए एक अधिसूचना जारी की जिसे बिहार गजट में प्रकाशित किया गया।कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार ने जवाबी हलफनामा दायर कर डाटा को सुरक्षित रखने की जानकारी दी है। डाटा इक्ट्ठा करने में पूर्ण जनसंपर्क कर जाति आधारित सर्वेक्षण किया गया और उसके खुलासा होने की कोई संभावना नहीं है। सर्वेक्षण कार्य में कई उपायों को ध्यान में रखा गया है। जिस कारण व्यक्ति की गोपनीयता के अधिकारों का उल्लंघन नहीं हुआ। कोर्ट ने कहा कि विवरणों के संग्रह में गणितीय सटीकता नहीं हो सकती, लेकिन राज्य को योजनाएं तैयार करने में यह गणना आवश्यक रूप से व्यापक अनुमान प्रदान करेगी।
राज्य सरकार करा सकती है जातीय का सर्वेक्षण
कोर्ट का मानना है कि जनगणना करना संसद का विशेष अधिकार है, जिसके आधार पर संसद ने जनगणना अधिनियम तैयार किया है। लेकिन राज्य सांख्यिकी संग्रह अधिनियम, 2008 के तहत राज्य सरकार जाति सर्वेक्षण कर सकती है। कोर्ट ने कहा कि करीब 80% सर्वेक्षण पूरा हो चुका है और एक भी उदाहरण सामने नहीं आया है जहां कोई शिकायत आई हो कि सर्वेक्षण में मांगे गए विवरण को उजागर करने के लिए दबाव डाला गया हो।
जातीय गणना कब क्या हुआ—-
- 7 जनवरी 2023- बिहार में जातीय गणना शुरू
- 21 अप्रैल 2023- जातीय गणना को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती
- 27 अप्रैल 2023- सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट जाने को कहा
- 4 मई 2023- जातीय गणना पर हाईकोर्ट ने अंतरिम रोक लगाई
- 9 मई 2023- हाईकोर्ट ने जल्द सुनवाई के अनुरोध को खारिज किया
- 11 मई 2023- राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की
- 18 मई 2023- सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को हाईकोर्ट जाने को कहा
- 3 जुलाई 2023- हाईकोर्ट में फिर से शुरू हुई सुनवाई
- 7 जुलाई 2023- हाईकोर्ट में हुई सुनवाई पूरी, फैसला सुरिक्षत
- 1 अगस्त 2023- हाईकोर्ट ने जातीय गणना जारी रखने का दिया आदेश