2002 के गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस बानो के बलात्कार और उसके परिवार की हत्या के लिए दोषी ठहराए गए 11 लोगों की रिहाई को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई मंगलवार को टाल दी गई।
अब सुनवाई जुलाई के दूसरे सप्ताह में होगी। अदालत ने कहा कि केंद्र और गुजरात सरकार ने कहा कि वे दोषियों की रिहाई के संबंध की फाइलें पेश करेंगे।
पीठ ने कहा कि समयसीमा निर्धारित करने के निर्देश के लिए वह नौ मई को मामले को सूचीबद्ध करेगी ताकि गर्मी की छुट्टी के बाद अदालत खुलने पर मामले की फिर से सुनवाई हो सके। मामले की सुनवाई के लिए नई बेंच भी बनेगी।
केंद्र और राज्य ने पहले हवाला दिया था कि दस्तावेज़ विशेषाधिकार प्राप्त थे। उन्होंने अदालत को यह भी बताया कि वे प्रासंगिक फाइलें पेश करने के आदेश के खिलाफ एक समीक्षा याचिका दायर करने पर विचार कर रहे हैं। जस्टिस केएम जोसेफ और बीवी नागरत्ना की पीठ ने कहा, “यदि आप छूट देने के लिए अपने कारण नहीं बताते हैं, तो हम अपने निष्कर्ष निकालेंगे।”
इससे पहले मार्च में एक सुनवाई के दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो गैंगरेप और उसके परिवार की हत्या को एक भयानक कृत्य करार दिया था। गुजरात सरकार से यह भी पूछा था कि क्या उसने 11 दोषियों को छूट देते समय हत्या के अन्य मामलों में समान मानकों को लागू किया था। अदालत ने कहा था, “जैसे आप सेब की तुलना संतरे से नहीं कर सकते, वैसे ही नरसंहार की तुलना एक हत्या से नहीं की जा सकती… आज यह बिलकिस है लेकिन कल यह कोई भी हो सकता है। यह आप या मैं हो सकते हैं।”
बिलकिस बानो ने पिछले साल नवंबर में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और गुजरात सरकार द्वारा 11 दोषियों की समय से पहले रिहाई को चुनौती दी थी। उन्होंने अपनी याचिका में कहा था कि उनकी सजा में छूट ने समाज की अंतरात्मा को झकझोर कर रख दिया है।