मथुरा में शाही ईदगाह परिसर के सर्वेक्षण की अनुमति देने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के बाद एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने तल्ख प्रतिक्रिया जाहिर की है। ओवैसी ने कहा कि इस तरह से मुसलमानों से उनकी गरिमा लूटी जा रही है।
एक्स हैंडल पर एक लंबी पोस्ट में ओवैसी ने मुसलमानों को निशाना बनाने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सालों पहले मथुरा विवाद को अदालत की निगरानी में सुलझा लिया गया था, फिर अब सर्वेक्षण की जरूरत क्यों पड़ गई?
मुसलमानों को बनाया जा रहा निशाना
एक्स पर एक पोस्ट में ओवैसी ने कहा, “एक पक्ष लगातार मुसलमानों को निशाना बनाने में रुचि रखता है लेकिन उसके लिए कानून अब कोई मायने नहीं रखता है। मुसलमानों से उनकी गरिमा को लूटना ही अब यह एकमात्र लक्ष्य बन गया है।” ओवैसी ने कहा, “बाबरी मस्जिद फैसले के बाद मैंने कहा था कि इससे संघ परिवार की शरारतें बढ़ेंगी। पूजा स्थल अधिनियम के बावजूद ऐसी मुकदमेबाजी पर रोक नहीं लग पाया है।” ओवैसी ने आरोप लगाया कि मथुरा विवाद दशकों पहले मस्जिद समिति और मंदिर के ट्रस्ट के बीच आपसी सहमति से सुलझाया गया था। फिर भी इस विवाद को तूल दिया जा रहा है।
अपने पोस्ट में ओवैसी ने कहा, “पूजा स्थल अधिनियम अभी भी लागू कानून है लेकिन कानून और न्यायिक प्रक्रिया का मजाक बना दिया है। सुप्रीम कोर्ट को इस मामले पर 9 जनवरी को सुनवाई करनी थी, तो सर्वेक्षण कराए जाने के आदेश की ऐसी क्या जल्दी थी?”
मिली सर्वे की अनुमति
बता दें इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने गुरुवार को उत्तर प्रदेश के मथुरा में श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर से सटे शाही ईदगाह परिसर का अदालत की निगरानी में अधिवक्ता आयुक्तों की तीन सदस्यीय टीम द्वारा प्राथमिक सर्वेक्षण की अनुमति दी। सर्वेक्षण के तौर-तरीके 18 दिसंबर को तय किए जाएंगे, जब अदालत सुनवाई फिर से शुरू करेगी। हिंदू पक्ष का दावा है कि ईदगाह मस्जिद का निर्माण मुगल बादशाह औरंगजेब ने भगवान कृष्ण के जन्म स्थान की 13.37 एकड़ जमीन पर एक मंदिर को तोड़कर किया था। यह मूल वाद उच्च न्यायालय में लंबित है।
उच्च न्यायालय में लंबित हैं ऐसे 17 मामले
बता दें उच्च न्यायालय में कम से कम 17 मुकदमे लंबित हैं जिसमें इस बात का जिक्र है कि शाही ईदगाह मस्जिद वहां स्थित है, जहां भगवान कृष्ण विराजमान थे। इस तरह की कई याचिकाओं में मस्जिद हटाने की मांग की गई है।