लोकसभा चुनाव के बाद अब यूपी की 10 विधानसभा सीटों पर होने जा रहे उपचुनावों में भी बसपा कहीं सपा-कांग्रेस तो कहीं भाजपा की मुश्किलें बढ़ा सकती है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने यूपी में 10 सीटों पर होने वाले विधानसभा उपचुनाव को प्रतिष्ठा का सवाल बनाते हुए दमदारी से लड़ने का ऐलान किया है।
इस चुनाव को फतेह करने के लिए बसपा अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति आरक्षण और नजूल भूमि वापस लेने के फैसले को मुद्दा बनाते हुए विरोधियों की पोल खोलेगी। इसके लिए पार्टी कार्यकर्ता घर-घर जाएंगे और मायावती के वक्तव्य की प्रतियां बांटेंगे। बताएंगे कि कैसे दूसरे दल आरक्षण को लेकर उनको भ्रमित कर रहे हैं।
बसपा आमतौर पर उपचुनाव नहीं लड़ती है लेकिन अब जब मायावती ने ये ऐलान किया है तो कई जानकारों का मानना है कि बसपा का ये फैसला कहीं सपा-कांग्रेस तो कहीं भाजपा का खेल बिगाड़ सकता है। हालांकि पिछले दो चुनावों (2024 लोकसभा और 2022 विधानसभा में) में यूपी में बसपा का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा है। बसपा के लिए आने वाले उपचुनाव में भी जमीनी स्तर पर चुनौतियां कम नहीं हैं। इसके बाद भी बसपा के पास उसके इतने परंपरागत वोटर तो हैं ही कि कई सीटों पर असर डाल सकते हैं। उधर, समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव लगातार बसपा को भाजपा की बी टीम बता रहे हैं। उपचुनाव की सभी सीटें लड़ने के मायावती के ऐलान के बाद भी सपा नेताओं ने अपनी प्रतिक्रियाओं में ऐसे आरोप लगाए।
बसपा के सामने इन चुनाव में सपा के पीडीए की काट निकालना भी बड़ी चुनौती है। बसपा से नेताओं के टूटकर सपा में जाने का सिलसिला जारी है। लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव का पीडीए फॉर्मूला काफी हद तक कामयाब रहा। जानकारों का कहना है कि पिछड़ा वर्ग में मौर्या, कुर्मी आदि कई जातियां बसपा से दूर हो गईं हैं। वहीं पार्टी के इंद्रजीत सरोज जैसे बड़े नेताओं का सपा में चले जाना भी बसपा के लिए बड़ी क्षति माना जा रहा है। हालांकि अब मायावती एक बार फिर इन स्थितियों को दुरुस्त करने की कोशिश करती नज़र आ रही हैं।
भाजपा वक्फ संरक्षण में कर रही दखलंदाजी
उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार हर मामलों में मनमानी कर रही है। धर्म परिवर्तन पर नया कानून, एससी-एसटी समाज के लोगों का उप-वर्गीकरण व क्रीमी लेयर करने का यह नया षडयंत्र, जातीय जनगणना से इंकार, मस्जिद-मदरसा संचालन व वक्फ संरक्षण आदि में जबरदस्ती सरकारी दखलंदाजी की जा रही है। इसीलिए सरकार की नीयत व नीति पर जनता को अब विश्वास नहीं रहा। बसपा को अपनी गरीब व सर्वजन हितकारी बहुजन हिताय व बहुजन सुखाय की नीति एवं सिद्धांत पर जनता का भरोसा फिर से जीतने का प्रयास लगातार जारी रखना है।
मायावती ने कहा है कि प्रदेश में बाढ़ के कारण काफी लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त है, लेकिन राहत पहुंचाने की जगह सरकार बयानबाजी में लगी है। बसपा सुप्रीमो माल एवेन्यू स्थित कांशीराम प्रेरणा स्थल को एक बार फिर से चमकाने जा रही हैं।
फूलपुर से शिवबरन,मझवा से दीपू की उम्मीदवारी
बसपा सुप्रीमो ने रविवार को पार्टी कार्यालय पर पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ बैठक में विधानसभा उपचुनाव की तैयारियों की समीक्षा की। सभी 10 सीटों के लिए उम्मीदवारों के तैयार किए गए पैनल पर चर्चा की। जोनल प्रभारियों से और योग्य व कर्मठ उम्मीदवारों के नाम मांगे। उन्होंने फिलहाल फूलपुर से शिव बरन पासी और मझवा सीट से दीपू तिवारी की उम्मीदवारी पर सहमति दे दी है। उन्होंने कहा कि उपचुनाव के लिए भले ही तारीख की अधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन सरगर्मी लगातार बढ़ रही है।