फिर राष्ट्रपति की रेस में होंगे पुतिन, 2030 तक बने रहने की तैयारी; तीन दशक का होगा कार्यकाल
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रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन बीते 25 सालों से सत्ता में डटे हुए हैं और निकट भविष्य में वह हटने का इरादा भी नहीं रखते। 2024 में रूस में राष्ट्रपति चुनाव हैं और उसमें व्लादिमीर पुतिन एक बार फिर उतरने वाले हैं।

वह देश के सबसे ताकतवर राजनीतिक शख्सियत हैं। ऐसे में उनका एक बार फिर से राष्ट्रपति चुना जाना तय माना जा रहा है। यदि इस बार वह राष्ट्रपति चुनाव में जीते तो 2030 तक सत्ता पर बने रहेंगे। वह 1999 से सत्ता के शीर्ष पर हैं और सबसे लंबे कार्यकाल का रिकॉर्ड पहले ही बना चुके हैं। उन्हें 1999 में बोरिस येल्तसिन से सत्ता मिली थी और तब से ही वह डटे हुए हैं।

व्लादिमीर पुतिन दुनिया के उन चंद शासकों में से एक हैं, जो बीते ढाई दशक से सत्ता में बने हुए हैं। यूक्रेन पर बीते साल किए हमले के बाद से उनकी भूमिका अहम हो गई है। उनके कद को इससे आंका जा सकता है कि वह जोसेफ स्टालिन के बाद सबसे लंबे समय तक शासन करने वाले राष्ट्रपति बन गए हैं। रूसी राष्ट्रपति 7 अक्टूबर को ही 71 साल के हुए हैं। हाल ही में रूस में एक सर्वे भी आया है, जिसमें 80 फीसदी लोगों ने उनका समर्थन किया है। अब व्लादिमीर पुतिन की पार्टी जल्दी ही चुनाव प्रचार में उतरने वाली है।

उनकी पार्टी के सूत्रों ने कहा कि फैसला हो चुका है और व्लादिमीर पुतिन चुनाव में उतरेंगे। फिलहाल व्लादिमीर पुतिन के चुनावी मैदान में उतरने से पहले एजेंडा और कैंपेन की रणनीति तैयार हो रही है। एक सूत्र ने कहा कि दुनिया के मौजूदा हालात को देखते हुए व्लादिमीर पुतिन रूस के लिए पहले से भी ज्यादा जरूरी हो गए हैं। उन्होंने कहा कि पुतिन की उम्मीदवारी को लेकर जल्दी ही औपचारिक ऐलान किया जाएगा। क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा कि व्लादिमीर पुतिन मैदान में उतरेंगे तो फिर उनके मुकाबले में कोई नहीं रहेगा।

इसके अलावा क्रेमलिन ने व्लादिमीर पुतिन के बीमार होने की खबरों से भी इनकार किया है। पेस्कोव ने कहा कि ऐसी खबरें तो पश्चिम का मीडिया ही फैलाता रहता है। इसमें कुछ भी सच्चाई नहीं है। गौरतलब है कि गोर्बाचेव के दौर में एक खुफिया अधिकारी रहे व्लादिमीर पुतिन को कड़ा प्रशासक माना जाता है। इसके अलावा वह सोवियत के विघटन को ऐतिहासिक गलती के तौर पर देखते रहे हैं। इसलिए वह संयुक्त रूस की चर्चा करते रहे हैं, जिसमें रूस से अलग हुए देशों से साथ आने की अपील वह करते रहे हैं।

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