पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी होंगे रिहा, आदेश जारी, मधुमिता हत्याकांड में मिली थी उम्रकैद
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पूर्व मंत्री और यूपी के चर्चित मधुमिता हत्याकांड में आरोपी अमरमणि त्रिपाठी जेल से बाहर आएंगे। आजीवन कारावास की सजा काट रहे अमरमणि त्रिपाठी की समय से पहले ही रिहाई का शासनादेश जारी हो गया है।

अमरमणि त्रिपाठी को मधुमिता हत्याकांड में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। वह करीब 19 साल से जेल में बंद हैं। अमरमणि के अच्छे आचरण को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कारागार प्रशासन औऱ सुधार विभाग ने यह आदेश जारी किया है।

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों जेल में अच्छा आचरण करने वाले इस तरह के कैदियों की रिहाई पर विचार करने की सलाह सरकार को दी थी। इसके बाद अमरमणि ने भी अपनी रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका पर ही सरकार को 10 फरवरी 2023 को रिहाई का आदेश दिया था। आदेश का पालन नहीं होने पर अवमानना याचिका दायर की गई। इसके बाद 18 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश रिहाई का आदेश पारित किया। इसमें लिखा कि उनकी उम्र 66 वर्ष होने और करीब 20 साल तक जेल में रहने और अच्छे आचरण को देखते हुए किसी अन्य वाद में शामिल न हों तो रिहाई कर दी जाए। इसी आदेश के बाद अमरमणि की रिहाई का आदेश जारी हो गया।

कवयित्री मधुमिता शुक्ला से प्यार में बर्बाद हो गया राजनीतिक सफर
अमरमणि त्रिपाठी का राजनीतिक और सामाजिक जीवन कवियित्री मधुमिता शुक्ला के प्यार में बर्बाद हो गया। लखीमपुर की कवयित्री मधुमिता वीर रस की कविताएं पढ़ती थीं। अमरमणि के संपर्क में आईं तो उनका नाम बड़ा हो गया। मंच से मिली शोहरत और सत्ता से नजदीकी ने उन्हें पावरफुल बना दिया। अमरमणि त्रिपाठी से उनका रिश्ता प्रेम में बदल गया। दोनों के बीच शारीरिक संबंध स्थापित हो गए। मधुमिता प्रेग्नेंट हो गईं। उन पर गर्भपात करवाने का दबाव बढ़ा पर उन्होंने नहीं करवाया। इसी बीच, 9 मई 2003 को 7 महीने की गर्भवती मधुमिता शुक्ला की गोली मारकर हत्या कर दी गई।

संतोष राय और पवन पांडे के साथ अमरमणि त्रिपाठी, उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी और भतीजे रोहितमणि त्रिपाठी को आरोपी बनाया गया। प्रदेश में बसपा सरकार थी और अमरमणि त्रिपाठी मंत्री थे। CBCID ने 20 दिन की जांच के बाद मामला CBI को सौंपा। गवाहों से पूछताछ हुई तो दो गवाह पलट गए।

सजा दिलाने सुप्रीम कोर्ट पहुंची मधुमिता की बहन

अमरमणि को सजा दिलाने मधुमिता की बहन सुप्रीम कोर्ट पहुंच गईं। उन्होंने याचिका दायर करते हुए केस को लखनऊ से दिल्ली या तमिलनाडु ट्रांसफर करने की अपील की। कोर्ट ने 2005 में केस उत्तराखंड ट्रांसफर कर दिया। 24 अक्टूबर 2007 को देहरादून सेशन कोर्ट ने पांचों लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई। अमरमणि त्रिपाठी नैनीताल हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट गए, लेकिन सजा बरकरार रही।

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