जी20 सम्मेलन में जब पीएम मोदी दुनिया भर के नेताओं का स्वागत कर रहे थे, बैकग्राउंड में ओडिशा के पुरी स्थित सूर्य मंदिर के कोणार्क चक्र की प्रतिकृति भी थी। पीएम मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक का स्वागत करने के बाद उन्हें कोणार्क चक्र के बारे में जानकारी देते नजर आए।
स्वागत स्थल पर कोणार्क चक्र की मौजूदगी न सिर्फ गौरवशाली भारतीय अतीत को बयां कर रही थी। बल्कि यह दिखा रही थी कि सदियों पहले भी भारत में विज्ञान की दिशा में कितना आगे था।
क्या है कोणार्क चक्र
कोणार्क चक्र का निर्माण 13वीं शताब्दी में राजा नरसिम्हादेव-प्रथम के शासनकाल में किया गया था। यह चक्र भारत के प्राचीन ज्ञान, उन्नत सभ्यता और वास्तुशिल्प उत्कृष्टता का प्रतीक है। इस चक्र का घूमना ‘कालचक्र’ के साथ-साथ प्रगति और निरंतर परिवर्तन का प्रतीक है। यह लोकतंत्र के पहिये का एक शक्तिशाली प्रतीक है, जो लोकतांत्रिक आदर्शों के लचीलेपन और समाज में प्रगति को लेकर प्रतिबद्धता दर्शाता है। कुछ मान्यताओं के मुताबिक कोणार्क चक्र की 24 तीलियां भगवान विष्णु के 24 अवतारों को दिखाती हैं। कुछ अन्य के मुताबिक ये तीलियां 24 अक्षरों वाले गायत्री मंत्र के बारे में हैं।
विज्ञान से ऐसा है रिश्ता
धार्मिक मान्यताओं के अलावा कोणार्क के सूर्य मंदिर का संबंध विज्ञान से भी है। बताया जाता है कि सूर्य मंदिर के वास्तुकारों ने धूपघड़ी बनाने के लिए खगोल विज्ञान के ज्ञान का इस्तेमाल किया था। इतना ही नहीं, इसकी डिजाइन बेहद जटिल गणनाओं पर आधारित है जो उपयोग किया था और इसका डिजाइन जटिल गणितीय गणनाओं पर आधारित है जो पृथ्वी के घूमने, सूरज, चांद और सितारों को ध्यान में रखता है। इतना ही नहीं, यह मंदिर पूरे दिन और पूरे साल सूरज की रफ्तार को ट्रैक कर सकता है। बताया जाता है कि सूर्य मंदिर में लगे पहिए सन डायल हैं। अगर पहियों के एक्सेल में ऊंगली रखी जाए तो इसकी परछाईं एकदम सही समय दिखा देगी।
दुनिया भर के नेताओं का स्वागत
बता दें कि पीएम मोदी ने यहां जी20 शिखर सम्मेलन के आयोजन स्थल ‘भारत मंडपम’ में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक, ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला डा सिल्वा, जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा, इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी और कई अन्य शीर्ष नेताओं का शनिवार सुबह स्वागत किया। दुनियाभर के नेता ‘भारत मंडपम’ में जब रेड कार्पेट पर उतरे, तो कलाकारों ने शहनाई पर ‘वैष्णव जन तो’, ‘पधारो म्हारे देस’ और ‘रघुपति राघव राजा राम’ की धुन बजाकर उनका स्वागत किया।