पिछले तीन साल से जापान भूकंपों से परेशान है. नोटो इलाके में दस हजार से ज्यादा भूकंप आ चुके हैं. जब वैज्ञानिकों ने इसकी वजह पता कि डरावना खुलासा हुआ. पता चला कि जमीन के अंदर एक मरा हुआ ज्वालामुखी है.
जिससे निकले मैग्मा यानी गर्म लावा का बहाव भूकंपों को पैदा कर रहा है.
नोटो प्रायद्वीप जापान सागर के पास है. यह इलाका देश के उत्तरी हिस्से में मौजूद है. यहां पर 1.56 करोड़ सालों से ज्वालामुखीय गतिविधियां हो रही हैं. यानी उनमें विस्फोट हो रहा है. यह स्टडी हाल ही में जेजीआर सॉलिड अर्थ में प्रकाशित हुई है. जो ये कहती है कि तरल लावा का बहाव आज भी भूकंप ला रहा है.
ये लावा मरे हुए ज्वालामुखी के ध्वस्त काल्डेरा के आसपास घूम रहा है. जापान के टोहोकू यूनिवर्सिटी के रिसर्च सेंटर फॉर प्रेडिक्शन ऑफ अर्थक्वेक्स एंड वॉल्कैनिक इरप्शंस के साइंटिस्ट कीसुके योशीदा ने बताया कि लावा के ऊपरी तरह होने वाले बहाव की वजह से भूकंप आ रहे हैं. नोटो के नीचे फॉल्ट्स का जटिल नेटवर्क है. जिसमें लावा बहता है.
नोटो इलाके और उसके आसपास दिसंबर 2020 से भूकंप आने शुरू हुए थे. जिनमें 2 तीव्रता के 1000 से ज्यादा भूकंप थे. 5.4 तीव्रता के भूकंप जून 2022 के बाद आने लगे. 6.5 तीव्रता का भूकंप इस साल मई महीने में आया. जिससे एक व्यक्ति की मौत हो गई और दर्जनों घायल हो गए.
कीसुके योशीदा और उनकी टीम ने जब भूकंपीय तरंगों की स्टडी की तो पता चला कि 1 या उससे अधिक तीव्रता के 10 हजार से ज्यादा भूकंप आए हैं. भूकंपों की शुरुआत जमीन से 20 किलोमीटर नीचे क्रस्ट में हो रही है. जिनका मूवमेंट ऊपरी हिस्से की तरफ है. असल में ये तरल लावा है जो नीचे से ऊपर की ओर बढ़ रहा है. उसका पैटर्न गोल है.
फॉल्ट नेटवर्क के नीचे लावा गोलाकार छल्ले के आकार में घूम रहा है. जो ये बताता है कि वहां पर मर चुके ज्वालामुखी का काल्डेरा है. अब यह ज्वालामुखी तो खत्म हो चुका है लेकिन उसका गर्म लावा लगातार जमीन के नीचे तबाही मचाने को तैयार है. साइंटिस्ट योशीदा कहते हैं कि 2011 में आया 9.1 तीव्रता का टोहोकू भूकंप भी तरल लावे के मूवमेंट की वजह से हुआ था. हो सकता है कि फिर किसी बड़ी तबाही की आहट हो ये छोटे-छोटे भूकंप.