पाकिस्तान में हाल के बरसों में हुए कई बम धमाकों के पीछे आतंकी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) का हाथ रहा है। टीटीपी और उससे जुड़े गुटों ने पाकिस्तानी सुरक्षा बलों और सेना के ठिकानों पर कई हमले किए हैं।
ऐसा देखा जा रहा है कि हमले गुजरते दिन के साथ बढ़ते ही जा रहे हैं और अब तक कई पाकिस्तानी सुरक्षाकर्मियों की मौत हो चुकी है। पाकिस्तान की सरकार इसे लेकर अब अलर्ट भी नजर आती है और आतंकी संगठन के खिलाफ कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। पाकिस्तान से लाखों अफगान शरणार्थियों को वापस भेजने का फैसला भी इसी कड़ी में लिया गया है। साथ ही मुठभेड़ में टीटीपी के कई दहशतगर्दों को ढेर भी किया जा चुका है।
बीते रविवार को ही खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के दक्षिण वजीरिस्तान जिले में सुरक्षा बलों की कार्रवाई में TTP के 8 आतंकवादी मारे गए। पाकिस्तानी सेना की मीडिया शाखा इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (ISPR) ने यह जानकारी दी। आईएसपीआर ने बताया कि आतंकवादियों की मौजूदगी की सूचना मिलने के बाद जिले के सारारोधा इलाके में अभियान चलाया गया था। अभियान के दौरान सुरक्षा बलों और आतंकवादियों के बीच भीषण मुठभेड़ हुई, जिसमें 8 आतंकवादी मारे गए। ये आतंकवादी सुरक्षा बलों और निर्दोष आम लोगों के खिलाफ कई आतंकी गतिविधियों में शामिल रहे हैं। आतंकवादियों के पास से हथियार, गोला-बारूद और विस्फोटक भी बरामद किए गए। उसने कहा कि सुरक्षा बल पाकिस्तान से आतंकवाद को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
अफगानों के निष्कासन से बढ़ा तनाव
वहीं, पाकिस्तान में अवैध तरीके से रह रहे अफगान लोगों के निष्कासन को लेकर तालिबान सरकार के साथ तनाव खड़ा हो गया है। पिछले महीने से अब तक लगभग 3 लाख अफगान नागरिक घर लौट आए हैं। पाकिस्तान ने उन विदेशी नागरिकों पर कार्रवाई शुरू की है जिनके पास वैध दस्तावेज नहीं हैं। यह कार्रवाई मुख्य रूप से लगभग 17 लाख अफगानों को प्रभावित करने वाली है जो 1979-1989 में अपने देश पर सोवियत कब्जे के दौरान और 2021 में तालिबान के कब्जे के बाद देश छोड़कर चले गए थे। अफगानिस्तान ने इस कार्रवाई की निंदा की है। अफगान दूतावास और तालिबान की सरकार ने पाकिस्तान के अधिकारियों पर शरणार्थियों की संपत्ति और धन जब्त करने का आरोप लगाया है। पाकिस्तान ने इस आरोप को खारिज कर दिया है। तालिबान नीत सरकार ने शरणार्थियों के लिए अफगानिस्तान में शिविर स्थापित किए हैं।
अफगानियों के TTP से जुड़ने की आशंका
रिपोर्ट के मुताबिक, अफगानिस्तान के शरणार्थी पाकिस्तानियों से नफरत कर सकते हैं। खासतौर पर यह देखते हुए कि उनके साथ किस तरह का बर्ताव हो रहा है। आशंका है कि अफगान शरणार्थियों में से कई लोग जानबूझकर टीटीपी से जुड़ सकते हैं। जैसा हमने कहा कि पाकिस्तानी प्रशासन ने अफगान शरणार्थियों पर टीटीपी की मदद का आरोप लगाया है। ऐसे में इस बात का खतरा बढ़ गया है कि नाराज अफगानी अब आतंकी संगठन की मदद के लिए और भी सक्रिय हो सकते हैं। अगर ऐसा हुआ तो यह टीटीपी पाकिस्तान के लिए हमास साबित हो सकता है। यहां पर डूरंड लाइन का जिक्र भी जरूरी हो जाता है। डूरंड रेखा पश्तून आबादी वाले क्षेत्रों को काटती है। रेखा के दोनों ओर के पश्तूनों में इसे लेकर ज्यादा सम्मान नहीं है। 1947 के बाद से ही पश्तून राष्ट्रवाद का विस्फोट पाकिस्तान के लिए चिंता का कारण रहा है। अफगान शरणार्थियों को लौटाने से यह खतरा और भी ज्यादा बढ़ गया है। पाकिस्तानी सत्ता के खिलाफ अफगानों और TTP के गुर्गों के बीच गठजोड़ मजबूत हो सकता है। ऐसे में आने वाले दिनों में पाकिस्तान में आतंकी धमाकों के मामले बढ़ सकते हैं।