पहले हुई चीफ की मौत, अब वैगनर ग्रुप आतंकी संगठन घोषित; भारी पड़ गई पुतिन से बगावत
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रूस के वैगनर ग्रुप को ब्रिटेन ने आतंकी संगठन घोषित कर दिया है। कुछ दिन पहले प्लेन क्रैश में अपने मुखिया को गंवाने वाले इस ग्रुप के सामने यह नई मुसीबत है। बता दें कि वैगनर ग्रुप कभी रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का बेहद करीबी था।

यूक्रेन के खिलाफ रूस की लड़ाई में यह प्राइवेट आर्मी उसके साथ थी। जनवरी में इस ग्रुप के मुखिया येवेगनी प्रिगोझिन ने यूक्रेन में डोनेट्स्क क्षेत्र के नमक-सोलेडर शहर पर कब्जा करने का पूरा श्रेय लिया। लेकिन यूक्रेन में उसके मुखिया येवेगनी प्रिगोझिन ने बगावत कर दी थी। हालांकि जल्द ही फिर वह रूस के सामने झुक गए थे और माफी मांग ली थी। माना जा रहा था कि इसके बाद वैगनर ग्रुप की बगावत को माफी मिल जाएगी। लेकिन कुछ ही दिनों के बाद प्रिगोझिन की क्रैश में मौत हो गई थी।

क्या है वैगनर ग्रुप?
पीएमसी वैगनर कहा जाने वाला यह ग्रुप एक रूसी अर्धसैनिक संगठन है। यह एक प्राइवेट मिलिट्री कंपनी है, जिसमें भाड़े के सैनिक हैं। इस पर रूस का कोई कानून लागू नहीं होता। शुरू में यह संगठन छिपे तौर पर ही थी, लेकिन पहली बार साल 2014 में यह सुर्खियों में आया। तब 2014 में पूर्वी यूक्रेन में संघर्ष के दौरान इसका नाम आया था। यह प्राइवेट मिलिट्री संगठन यूक्रेन अभियान का एक अहम हिस्सा था। इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि पूर्वी यूक्रेन में स्थित बखमुत शहर पर रूस के कब्जे में भी वैगनर का रोल काफी अहम रहा। इस ग्रुप में सैनिकों की संख्या कितनी है, इसको लेकर अलग-अलग दावे हैं। वैगनर ग्रुप का नाम उसके पहले कमांडर, दिमित्री उत्किन के नाम पर पड़ा। रूस की सेना के विशेष बलों के रिटायर्ड लेफ्टिनेंट कर्नल दिमित्री का निकनेम वैगनर था।

कौन था येवेगनी प्रिगोझिन
वैगनर ग्रुप के प्रमुख येवगेनी प्रिगोझिन की तो इसका जन्म साल 1961 में लेनिनग्राड में हुआ था। इस शहर को अब सेंट पीट्सबर्ग के नाम से जाना जाता है। 1981 में येवगेनी को 13 साल की सजा सुनाई गई थी। उस पर मारपीट, डकैती और धोखाधड़ी का दोष लगे थे। बाद में सोवियत यूनियन के पतन के बाद येवगेनी को 9 साल की सजा के बाद ही रिहा कर दिया गया था। जेल से बाहर आने के बाद पहले येवगेनी ने हॉट डॉग का स्टॉल लगाया। इसके बाद रेस्टोरेंट खोल दिया। यहां से उसे मशहूरी मिली और रूस के राष्ट्रपति उसके यहां खाना खाने जाने लगे। यहां प्रिगोझिन की करीबी पुतिन से हुई और उसने अपना बिजनेस और बढ़ाया। इसके बाद प्रिगोझिन ने ही रूसी सेना के समर्थन से एक प्राइवेट आर्मी बनाई, जिसे वैगनर ग्रुप का नाम दिया गया। उसने इस प्राइवेट आर्मी में रिटायर्ड सेना के अधिकारी, जवानों को शामिल किया गया।

वैगनर ने इसलिए की थी बगावत
दरअसल यूक्रेन के खिलाफ युद्ध के दौरान वैगनर ग्रुप के चीफ ने कई बार रुसी रक्षा मंत्रालय पर हथियारों की पर्याप्त सप्लाई नहीं करने का आरोप लगाया है। प्रिगोझिन ने खुले आम रूसी नेत रुसी लीडरशिप पर भी सवाल उठाए। पर इसके बावजूद वैगनर ग्रुप रूस की तरफ से यूक्रेन के खिलाफ लड़ता रहा। बगावत से कुछ वक्त पहले ही वैगनर ग्रुप की एक टुकड़ी और कैम्पों पर मिसाइल से हमला हुआ। इसके लिए भी प्रिगोझिन ने रूसी रक्षा मंत्रालय को ही जिम्मेदार ठहराया। इन्हीं सारी वजहों को आधार बनाकर वैगनर ग्रुप ने बगावत की थी।

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