पहलगाम हमला: कहां हुई सुरक्षा में चूक
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पहलगाम में आतंकवादी बेखौफ पर्यटकों पर गोलियां बरसाते रहे और वहां उन्हें बचाने वाला कोई नहीं था. पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने भारतीय खुफिया एजेंसी और सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए.

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के चश्मदीदों का आरोप है कि वहां सुरक्षा के इंतजाम बिल्कुल भी नहीं थे. पहलगाम हमले में बाल बाल बचे महाराष्ट्र के पारस जैन ने बताया कि सेना की वर्दी पहने आतंकवादियों ने बाइसरन के मैदान के चारों कोनों से पर्यटकों को निशाना बनाया. उन्होंने द हिंदू अखबार को दिए इंटरव्यू में कहा कि उन्होंने एक आतंकवादी को दूर से देखा और 25-30 मिनट तक गोलीबारी जारी रही. जैन ने कहा कि हमले के समय आसपास कोई सुरक्षाकर्मी नहीं था और सेना का एक कैंप नीचे की ओर स्थित था.

भारतीय अखबार, द न्यू इंडियन एक्सप्रेस ने एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से लिखा है, घटना से कुछ दिन पहले, पाकिस्तान के नियंत्रण वाले कश्मीर में स्थित एक आतंकवादी ने हमले का संकेत देते हुए एक संदिग्ध टिप्पणी की थी, लेकिन खुफिया एजेंसियां और सुरक्षा बल इस पर कार्रवाई करने में विफल रहे, जिसके कारण यह गंभीर त्रासदी हुई.

रिपोर्ट में सूत्र के हवाले से लिखा गया कि, हमले में शामिल आतंकवादियों को हथियारों के इस्तेमाल की अच्छी ट्रेनिंग दी गई और उन्हें उन क्षेत्रों की विस्तृत जानकारी दी गई थी जहां पर्यटकों की भारी भीड़ के बावजूद सुरक्षा बलों की कम तैनाती होती है.

पहलगाम में सुरक्षा तैनाती को लेकर भी कई सवाल उठ रहे हैं क्योंकि इस मौसम में भारी संख्या में लोग कश्मीर जाते हैं. अंतरराष्ट्रीय मामलों की जानकार और राष्ट्रीय सुरक्षा विशेषज्ञ स्वस्ति राव पाकिस्तान में अस्थिरता के दौर की ओर ध्यान दिलाती हैं. उनके मुताबिक, जब से पाकिस्तान तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) पर कार्रवाई कर रहा, उसके संबंध तालिबान और अफगानिस्तान से बिगड़ रहे हैं. उन्होंने कहा पाकिस्तान में बलोच अलगाववाद भी चल रहा है जिसको पाकिस्तान सेना तोड़ने में नाकाम रही है.

“कश्मीर का मुद्दा गर्म रखना चाहता है पाकिस्तान”
राव ने डीडब्ल्यू हिंदी से कहा, “हाल ही में पाकिस्तानी सेना के प्रमुख ने जो कश्मीर के ऊपर बयान दिया था वह बहुत ही भड़काऊ था और अनुचित था. उसी से यह बात साफ हो जानी चाहिए थी कि पाकिस्तान कुछ योजना बना रहा है.” साथ ही वह कहती हैं, “जब भी पाकिस्तानी सेना पर अस्तित्व का संकट का मंडराता है तो वह कश्मीर में कुछ वारदात को अंजाम देकर अपने महत्व को साबित करती है. यह पैटर्न बहुत ही महत्वपूर्ण था, जिसे हमें गंभीरता से लेना चाहिए था. दूसरा ट्रेंड यह है कि जब भी कोई विदेशी नेता भारत आता है तो पाकिस्तान ऐसी हरकत करता है जिससे विदेशी मीडिया कश्मीर के मुद्दे को कवर करे.”

कई जानकारों का मानना है कि इस हमले की साजिश रचने वाले चाहते थे कि कश्मीर को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ध्यान खींचा जाए. हमला ऐसे वक्त में हुआ जब अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वैंस भारत दौरे पर थे और भारतीय प्रधानमंत्री इस्लामी देश सऊदी अरब के दौरे पर गए थे.

‘द हिंदू’ अखबार के अंतरराष्ट्रीय संपादक स्टैनली जॉनी भी पहलगाम में आतंकवादी हमले की टाइमिंग को अहम मानते हैं. उन्होंने एक्स पर लिखा, “हमलावर और उनके हैंडलर्स ज्यादा से ज्यादा वैश्विक ध्यान आकर्षित करना चाहते थे और कश्मीर मुद्दे को गर्म रखना चाहते हैं.”

राव कहती हैं, “पुलवामा हमले को लोग बहुत अभूतपूर्व कह रहे थे लेकिन यह उससे भी बड़ा है, क्योंकि यह भारत सरकार के कश्मीर को लेकर पूरे नैरेटिव पर सवाल खड़ा करता है. अनुच्छेद 370 के हटाए जाने के बाद से भारत सरकार का रुख रहा है कि उसने कश्मीर को मुख्यधारा से जोड़ा है, वहां लोकतांत्रिक तरीके से चुनाव कराए और कश्मीर में शांति है. इसे उन्होंने बहुत बुरी तौर पर चुनौती दी है. और ऐसे समय पर चुनौती दी है जबकि भारत का नैरेटिव है कि पाकिस्तान में बहुत अस्थिरता है, वह कमजोर हो रहा है.”

आतंकी हमले के बाद गुरुवार को कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक हुई और उसने केंद्र पर “भारी सुरक्षा विफलता” और “खुफिया चूक” का आरोप लगाया. कांग्रेस का कहना है कि सुरक्षा में जो चूक हुई है उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा.

करारा जवाब देंगेः भारत
भारत के केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को कहा कि देश आतंकवाद के आगे घुटने नहीं टेकेगा और जम्मू कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों की हत्या के लिए जिम्मेदार लोगों को बख्शा नहीं जाएगा.

वहीं भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि आतंकी हमले का करारा जवाब दिया जाएगा और जल्द ही भारत की ओर से एक्शन लिया जाएगा. उन्होंने कहा, “मैं देशवासियों को आश्वस्त करता हूं कि घटना के मद्देनजर भारत सरकार हर वो कदम उठाएगी, जो जरूरी और उपयुक्त होगा और हम सिर्फ उन्हीं लोगों तक नहीं पहुंचेंगे, जिन्होंने इस घटना को अंजाम दिया है. हम उन तक भी पहुंचेंगे, जिन्होंने पर्दे के पीछे बैठकर, हिंदुस्तान की सरजमीं पर ऐसी नापाक हरकतों की साजिशें रची हैं.”

वे छुट्टी मनाने पहलगाम गए, ताबूतों में लौटे

राव माननती हैं कि कहीं न कहीं सुरक्षा में चूक रही थी और इसके लिए जवाबदेही तय करनी होगी. उन्होंने कहा, “मेरे विचार में हमें सरकार की ओर से आधिकारिक जानकारी का इंतजार करना चाहिए. साथ ही मैं यह भी कहना चाहूंगी कि हमारे सामने प्रारंभिक चेतावनी के संकेत मौजूद थे. लाइन ऑफ कंट्रोल पर आतंकी का आना अलग बात है लेकिन पर्यटक स्थल पर आतंकी का आना, वहां रेकी करना और इस हमले को अंजाम देना यह सब चीजें इतनी आराम से कैसे हो गई और किसी का ध्यान क्यों नहीं गया. यह सवाल है और इसका जवाब नहीं है.”

टीआरएफ क्या है और ये क्या चाहता है

हमले की जांच की जिम्मेदारी भारत की नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी को दी गई है और सुरक्षा एजेंसियों ने बुधवार को आतंकवादी हमले में शामिल तीन संदिग्ध लोगों के स्केच जारी किए. इस बीच पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री इसहाक डार ने पाकिस्तान के एक निजी चैनल से कहा “भारत ने कोई सबूत नहीं दिया है. उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया में कोई परिपक्वता नहीं दिखाई है. यह एक गैर-गंभीर दृष्टिकोण है. उन्होंने घटना के तुरंत बाद ही इसे तूल देना शुरू कर दिया.”पहलगाम में आतंकवादी बेखौफ पर्यटकों पर गोलियां बरसाते रहे और वहां उन्हें बचाने वाला कोई नहीं था. पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने भारतीय खुफिया एजेंसी और सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए.

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के चश्मदीदों का आरोप है कि वहां सुरक्षा के इंतजाम बिल्कुल भी नहीं थे. पहलगाम हमले में बाल बाल बचे महाराष्ट्र के पारस जैन ने बताया कि सेना की वर्दी पहने आतंकवादियों ने बाइसरन के मैदान के चारों कोनों से पर्यटकों को निशाना बनाया. उन्होंने द हिंदू अखबार को दिए इंटरव्यू में कहा कि उन्होंने एक आतंकवादी को दूर से देखा और 25-30 मिनट तक गोलीबारी जारी रही. जैन ने कहा कि हमले के समय आसपास कोई सुरक्षाकर्मी नहीं था और सेना का एक कैंप नीचे की ओर स्थित था.

भारतीय अखबार, द न्यू इंडियन एक्सप्रेस ने एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से लिखा है, घटना से कुछ दिन पहले, पाकिस्तान के नियंत्रण वाले कश्मीर में स्थित एक आतंकवादी ने हमले का संकेत देते हुए एक संदिग्ध टिप्पणी की थी, लेकिन खुफिया एजेंसियां और सुरक्षा बल इस पर कार्रवाई करने में विफल रहे, जिसके कारण यह गंभीर त्रासदी हुई.

रिपोर्ट में सूत्र के हवाले से लिखा गया कि, हमले में शामिल आतंकवादियों को हथियारों के इस्तेमाल की अच्छी ट्रेनिंग दी गई और उन्हें उन क्षेत्रों की विस्तृत जानकारी दी गई थी जहां पर्यटकों की भारी भीड़ के बावजूद सुरक्षा बलों की कम तैनाती होती है.

पहलगाम में सुरक्षा तैनाती को लेकर भी कई सवाल उठ रहे हैं क्योंकि इस मौसम में भारी संख्या में लोग कश्मीर जाते हैं. अंतरराष्ट्रीय मामलों की जानकार और राष्ट्रीय सुरक्षा विशेषज्ञ स्वस्ति राव पाकिस्तान में अस्थिरता के दौर की ओर ध्यान दिलाती हैं. उनके मुताबिक, जब से पाकिस्तान तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) पर कार्रवाई कर रहा, उसके संबंध तालिबान और अफगानिस्तान से बिगड़ रहे हैं. उन्होंने कहा पाकिस्तान में बलोच अलगाववाद भी चल रहा है जिसको पाकिस्तान सेना तोड़ने में नाकाम रही है.

“कश्मीर का मुद्दा गर्म रखना चाहता है पाकिस्तान”
राव ने डीडब्ल्यू हिंदी से कहा, “हाल ही में पाकिस्तानी सेना के प्रमुख ने जो कश्मीर के ऊपर बयान दिया था वह बहुत ही भड़काऊ था और अनुचित था. उसी से यह बात साफ हो जानी चाहिए थी कि पाकिस्तान कुछ योजना बना रहा है.” साथ ही वह कहती हैं, “जब भी पाकिस्तानी सेना पर अस्तित्व का संकट का मंडराता है तो वह कश्मीर में कुछ वारदात को अंजाम देकर अपने महत्व को साबित करती है. यह पैटर्न बहुत ही महत्वपूर्ण था, जिसे हमें गंभीरता से लेना चाहिए था. दूसरा ट्रेंड यह है कि जब भी कोई विदेशी नेता भारत आता है तो पाकिस्तान ऐसी हरकत करता है जिससे विदेशी मीडिया कश्मीर के मुद्दे को कवर करे.”

कई जानकारों का मानना है कि इस हमले की साजिश रचने वाले चाहते थे कि कश्मीर को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ध्यान खींचा जाए. हमला ऐसे वक्त में हुआ जब अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वैंस भारत दौरे पर थे और भारतीय प्रधानमंत्री इस्लामी देश सऊदी अरब के दौरे पर गए थे.

‘द हिंदू’ अखबार के अंतरराष्ट्रीय संपादक स्टैनली जॉनी भी पहलगाम में आतंकवादी हमले की टाइमिंग को अहम मानते हैं. उन्होंने एक्स पर लिखा, “हमलावर और उनके हैंडलर्स ज्यादा से ज्यादा वैश्विक ध्यान आकर्षित करना चाहते थे और कश्मीर मुद्दे को गर्म रखना चाहते हैं.”

राव कहती हैं, “पुलवामा हमले को लोग बहुत अभूतपूर्व कह रहे थे लेकिन यह उससे भी बड़ा है, क्योंकि यह भारत सरकार के कश्मीर को लेकर पूरे नैरेटिव पर सवाल खड़ा करता है. अनुच्छेद 370 के हटाए जाने के बाद से भारत सरकार का रुख रहा है कि उसने कश्मीर को मुख्यधारा से जोड़ा है, वहां लोकतांत्रिक तरीके से चुनाव कराए और कश्मीर में शांति है. इसे उन्होंने बहुत बुरी तौर पर चुनौती दी है. और ऐसे समय पर चुनौती दी है जबकि भारत का नैरेटिव है कि पाकिस्तान में बहुत अस्थिरता है, वह कमजोर हो रहा है.”

आतंकी हमले के बाद गुरुवार को कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक हुई और उसने केंद्र पर “भारी सुरक्षा विफलता” और “खुफिया चूक” का आरोप लगाया. कांग्रेस का कहना है कि सुरक्षा में जो चूक हुई है उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा.

करारा जवाब देंगेः भारत
भारत के केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को कहा कि देश आतंकवाद के आगे घुटने नहीं टेकेगा और जम्मू कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों की हत्या के लिए जिम्मेदार लोगों को बख्शा नहीं जाएगा.

वहीं भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि आतंकी हमले का करारा जवाब दिया जाएगा और जल्द ही भारत की ओर से एक्शन लिया जाएगा. उन्होंने कहा, “मैं देशवासियों को आश्वस्त करता हूं कि घटना के मद्देनजर भारत सरकार हर वो कदम उठाएगी, जो जरूरी और उपयुक्त होगा और हम सिर्फ उन्हीं लोगों तक नहीं पहुंचेंगे, जिन्होंने इस घटना को अंजाम दिया है. हम उन तक भी पहुंचेंगे, जिन्होंने पर्दे के पीछे बैठकर, हिंदुस्तान की सरजमीं पर ऐसी नापाक हरकतों की साजिशें रची हैं.”

वे छुट्टी मनाने पहलगाम गए, ताबूतों में लौटे

राव माननती हैं कि कहीं न कहीं सुरक्षा में चूक रही थी और इसके लिए जवाबदेही तय करनी होगी. उन्होंने कहा, “मेरे विचार में हमें सरकार की ओर से आधिकारिक जानकारी का इंतजार करना चाहिए. साथ ही मैं यह भी कहना चाहूंगी कि हमारे सामने प्रारंभिक चेतावनी के संकेत मौजूद थे. लाइन ऑफ कंट्रोल पर आतंकी का आना अलग बात है लेकिन पर्यटक स्थल पर आतंकी का आना, वहां रेकी करना और इस हमले को अंजाम देना यह सब चीजें इतनी आराम से कैसे हो गई और किसी का ध्यान क्यों नहीं गया. यह सवाल है और इसका जवाब नहीं है.”

टीआरएफ क्या है और ये क्या चाहता है

हमले की जांच की जिम्मेदारी भारत की नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी को दी गई है और सुरक्षा एजेंसियों ने बुधवार को आतंकवादी हमले में शामिल तीन संदिग्ध लोगों के स्केच जारी किए. इस बीच पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री इसहाक डार ने पाकिस्तान के एक निजी चैनल से कहा “भारत ने कोई सबूत नहीं दिया है. उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया में कोई परिपक्वता नहीं दिखाई है. यह एक गैर-गंभीर दृष्टिकोण है. उन्होंने घटना के तुरंत बाद ही इसे तूल देना शुरू कर दिया.”

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