न संगठन बड़ा होता है, न सरकार, सबसे बड़ा होता है… अखिलेश यादव ने केशव मौर्य को ऐसे दिया जवाब
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यूपी में समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव और योगी सरकार में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद के बीच सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर जंग छिड़ गई है। कभी अखिलेश की तरफ से वार होता है तो केशव पलटवार करते हैं।कभी केशव की तरफ से निशाना साधा जाता है तो अखिलेश हमला कर जवाब दे रहे हैं। दो दिन पहले शुरू हुआ वार पलटवार का दौरान शुक्रवार की शाम भी जारी रहा। केशव प्रसाद मौर्य के सरकार से बड़ा संगठन वाले बयान के बाद बीजेपी में हलचल मची थी और अखिलेश ने इसे लेकर तंज कसा था। अब अखिलेश ने इसी बयान पर कहा कि न संगठन बड़ा होता है न सरकार। अखिलेश ने कहा कि सबसे बड़ा होता है जनता का कल्याण।
अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स आगे लिखा कि दरअसल संगठन और सरकार तो बस साधन होते हैं, लोकतंत्र में साध्य तो जनसेवा ही होती है। जो साधन की श्रेष्ठता के झगड़े में उलझे हैं, वो सत्ता और पद के भोग के लालच में है, उन्हें जनता की कोई परवाह ही नहीं है। भाजपाई सत्तान्मुखी है, सेवान्मुखी नहीं!अखिलेश का यह पलटवार तब आया है जब कुछ देर पहले ही केशव मौर्य ने सपा प्रमुख पर निशाना साधा था। अखिलेश यादव ने गुरुवार को लिखा था कि मानसून ऑफर सौ लाओ, सरकार बनाओ! इसी के जवाब में केशव ने लिखा कि मानसून आफर को 2027 में 47 पर जनता और कार्यकर्ता फिर समेटेंगे। एक डूबता जहाज़ और समाप्त होने वाला दल जिसका वर्तमान और भविष्य ख़तरे में है। वह मुंगेरीलाल के हसीन सपने देख सकता है, परंतु पूर्ण नहीं हो सकता। 2027 में 2017 दोहरायेंगे, फिर कमल की सरकार बनायेंगे।
अखिलेश ने ऐसे साधा था निशाना
भाजपा कार्यसमिति की बैठक में आए बयानों के बाद अखिलेश यादव ने पूरी भाजपा खासकर केशव पर बिना नाम लिखे निशाना साधा था। अखिलेश ने कहा कि दिन-पर-दिन कमज़ोर होती भाजपा में टकराव और भटकाव का दौर शुरू हो गया है। भाजपा खेमों में बंट गयी है। भाजपा के एक नेता महोदय अपने ही शीर्ष नेतृत्व के दिए नारे को नकार रहे हैं। ⁠कोई मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि बैकफ़ुट पर जाने की ज़रूरत नहीं है, जो उछल-कूद कर रहे हैं वो बैठा दिये जाएंगे। ⁠कोई कह रहा है संगठन सरकार से बढ़ा है। ⁠तो कोई सहयोगी दल हार का कारण दिल्ली-लखनऊ के नेतृत्व के ऊपर डाल रहा है। ⁠कोई वीडियो बनाकर बयान दे रहा है, कोई चिट्ठी लिख रहा है। भाजपा में एक-दूसरे को कमतर दिखाने के लिए कठपुतली का खेल खेला जा रहा है। सबकी डोरी अलग-अलग हाथों में है। भाजपा में पर्दे के पीछे की लड़ाई सरेआम हो गयी है। इंजन ही नहीं अब तो डिब्बे भी आपस में टकरा रहे हैं।

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