जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने उन लोगों के पुनर्वास के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, जिनके घर पिछले कुछ दिनों में नूंह हिंसा में छह लोगों के मारे जाने के बाद प्रशासन की कार्रवाई में ध्वस्त कर दिए गए थे।
जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने कहा कि भले ही पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने सोमवार को नूंह में बुलडोजर ऐक्शन को रोकने का आदेश दिया है लेकिन विस्थापित लोगों के पुनर्वास और उन्हें मुआवजा देने का आदेश नहीं जारी किया गया है। सुप्रीम कोर्ट से दरख्वास्त है कि वह विस्थापित लोगों के पुनर्वास को लेकर निर्देश जारी करे।
जमीयत के प्रेस सचिव फजलुर रहमान कासमी ने कहा- पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए नूंह में मुस्लिम संपत्तियों पर क्रूर बुलडोजर कार्रवाई को रोक दिया है। अदालत ने पीड़ित निवासियों के पुनर्वास, मुआवजे और संक्रमणकालीन प्रवास के लिए कोई आदेश जारी नहीं किया है। साढ़े छह सौ मिट्टी-ईंट और पक्के मकान अवैध रूप से ध्वस्त कर दिए गए हैं। यही नहीं दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कोई आदेश जारी नहीं किया गया है।
जमीयत (Jamiat Ulama-i-Hind) की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि जमीयत उलमा-ए-हिंद ने बुलडोजर ऐक्शन के पीड़ितों के पुनर्वास, मुआवजे और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई का निर्देश दिए जाने की शीर्ष अदालत से अपील की है। याचिका में अदालत से अनुरोध किया गया कि सभी राज्यों को बुलडोजरों से अवैध विध्वंस से बचने के निर्देश जारी किए जाएं। ऐसे मामलों में अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।