नीतीश से ज्यादा लालू यादव पर आक्रामक रहे अमित शाह, बीजेपी की बिहार में क्या है रणनीति?
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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह मधुबनी के झंझारपुर में बीजेपी की रैली को संबोधित करते हुए आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव पर ज्यादा आक्रामक दिखाई दिए। उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से ज्यादा लालू यादव पर तीखा हमला बोला।

शाह ने यह तक कह दिया कि लालू अब एक्टिव हो गए हैं और नीतीश इनएक्टिव। बिहार अब कहां जाएगा आप समझ जाइए। अमित शाह के इस रुख से राजनीतिक गलियारों में चर्चा शुरू हो गई है कि क्या 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी की बिहार में यही रणनीति रहने वाली है?

अमित शाह ने झंझारपुर के ललित कर्पूरी स्टेडियम में शनिवार को बीजेपी की जनसभा को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने राज्य की महागठबंधन सरकार पर जमकर हमला बोला। अपने भाषण में उन्होंने आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव पर तीखे प्रहार किए। शाह ने आरोप लगाए कि लालू ने रेल मंत्री रहते हुए अरबों-खरबों का भ्रष्टाचार किया। अब नीतीश कुमार अपने स्वार्थ के लिए उनके साथ जाकर बैठ गए हैं। जेडीयू और आरजेडी कभी एक नहीं हो सकते, इनका मेल तेल और पानी जैसा है।

गृह मंत्री ने कहा कि नीतीश कुमार बिहार में लालू यादव के साथ मिलकर सरकार चला रहे हैं। हर रोज यहां अपहरण, गोलीबारी, लूट, पत्रकारों एवं दलितों की हत्या की खबरें आ रही हैं। बिहार में जंगलराज की वापसी हो रही है। कुछ दिन पहले इन्होंने फतवा जारी कर रक्षाबंधन-जन्माष्टमी की छुट्टी रद्द कर दी थी, जब लोगों ने आक्रोश जताया तो इनका दिमाग ठिकाने आ गया।

नीतीश से ज्यादा लालू को अटैक करेगी बीजेपी?
अमित शाह ने अपने भाषण में कहा कि लालू यादव फिर से एक्टिव हो गए हैं और नीतीश इनएक्टिव हो गए हैं। इससे आप समझ सकते हैं कि बिहार में क्या होने वाला है। शाह के इस बयान के कई मायने निकाले जा रहे हैं।राजीतिक जानकारों के मुताबिक बीजेपी अब नीतीश कुमार से ज्यादा लालू यादव पर फोकस करेगी। पिछले साल किडनी ट्रांसप्लांट होने के बाद लालू कई महीनों तक रेस्ट मोड में रहे। इस दौरान उनके छोटे बेटे एवं डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ही पार्टी के कामकाज को पूरी तरह संभाले रहे। मगर अब लालू पूरी तरह फिट हैं और पार्टी के साथ-साथ सरकार के कामकाज पर भी उनकी पैनी नजर है।

लालू के बीमार रहने के दौरान नीतीश कुमार ज्यादा एक्टिव मोड में दिखाई दिए। उन्होंने देशभर के विपक्षी दलों को एकजुट करने के लिए कई नेताओं से मुलाकात की। नीतीश ने ही पटना में पहली बार बैठक आयोजित कराई और गठबंधन की नींव रखी गई। पटना में हुई बैठक में लालू यादव का पुराना अंदाज लौट आया। इसमें लालू ने अपने पुराने चुटीले अंदाज में मोदी सरकार और बीजेपी पर हमला बोला। इसके बाद से लालू यादव पूरी तरह एक्टिव हो गए। इंडिया गठबंधन की बैठकों में वे शामिल होकर अपनी बात रख रहे हैं। सार्वजनिक कार्यक्रमों में भी उन्होंने हिस्सा लेना शुरू कर दिया है। आरजेडी के सभी बड़े निर्णय फिर से लालू ही ले रहे हैं।

यहां तक कि सीएम नीतीश कुमार का लालू यादव से मुलाकातों का सिलसिला भी बढ़ गया है। नीतीश अचानक कभी राबड़ी आवास पहुंचकर लालू के साथ बैठक कर लेते हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते राज्य में सीट बंटवारे में आरजेडी की भूमिका अहम होगी। यानी कि लालू यादव ही 2024 के लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन के दलों को सीटें बांटेंगे। भाकपा माले ने अपनी सीटों का प्रस्ताव भी जेडीयू की बजाय आरजेडी को सौंपा है। ऐसे में माना जा रहा है कि बीजेपी ने भी बिहार में अपनी रणनीति बदल दी है। और नीतीश की जगह लालू यादव को अपना टार्गेट प्वाइंट बना लिया है।

दूसरी ओर, नीतीश कुमार अभी ना काहू से दोस्ती ना काहू से बैर वाली रणनीति पर चल रहे हैं। अपने भाषणों एवं बयानों में भले ही वे नरेंद्र मोदी सरकार को कोसते हैं। मगर उनकी बीजेपी के नेताओं से पूरी तरह दुश्मनी नहीं है। पिछले दिनों जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान राष्ट्रपति भवन में आयोजित डिनर के दौरान पीएम मोदी से उनकी हंसकर मिलते हुए तस्वीर काफी चर्चा में रही। यहां तक कि राज्यपाल राजेंद्र आर्लेकर से भी वे ज्यादा बैर नहीं रख रहे हैं। यूनिवर्सिटी में स्वायत्ता के मुद्दे पर कई बार सरकार और राजभवन के बीच विरोधाभास हुए। मगर नीतीश ने खुद आगे आकर इन्हें दूर किया। यही कारण है कि बीजेपी के बड़े नेता अब नीतीश कुमार को अपने निशाने पर रखते हुए भी लालू यादव से थोड़े नरम तेवर दिखा रहे हैं।

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