नई संसद में अखंड भारत के मैप को देखकर बौखला गया पड़ोसी
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देश की नई संसद में अखंड भारत का मैप लगाए जाने की वजह से पाकिस्तान, नेपाल समेत कई पड़ोसी देश बौखला गए हैं। वहां के कई नेताओं को मिर्ची लगी है।

नेपाल में भी अखंड भारत के मैप पर बवाल जारी है। भारत दौरे से वापस लौटे नेपाल के पीएम प्रचंड को सफाई तक देनी पड़ गई है। अब इसी बौखलाहट में नेपाल ने एक ग्रेटर नेपाल का मैप जारी किया है। यह मैप काठमांडू मेयर बालेंद्र शाह की ओर से आया है, जिसे उन्होंने ग्रेटर नेपाल नाम देते हुए अपने ऑफिस में लगाया है। मेयर शाह इस समय बेंगलुरु में अपनी पत्नी के इलाज के सिलसिले में हैं। उन्होंने भारत आने से पहले यह मैप अपने दफ्तर में लगाया था।

एक समय नेपाल का भूभाग पूर्व में तीस्ता से लेकर पश्चिम में सतलज तक फैला हुआ था। हालांकि, अंग्रेजों के साथ युद्ध के बाद, नेपाल ने अपनी भूमि का एक बड़ा हिस्सा खो दिया। युद्ध के बाद, मेची से तीस्ता और महाकाली से सतलुज तक के क्षेत्रों को स्थायी रूप से भारत में मिला लिया गया। 4 मार्च, 1816 को, नेपाल और ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच सुगौली संधि पर हस्ताक्षर किए गए, जिसने नेपाल के क्षेत्र को मेची-महाकाली तक घटा दिया। मेयर बालेंद्र शाह के कार्यालय में लगे ‘ग्रेटर नेपाल’ मैप में पूर्वी तीस्ता से लेकर पश्चिम कांगड़ा तक के क्षेत्र शामिल हैं जो वर्तमान में भारतीय क्षेत्र हैं।

न्यूज एजेंसी आईएएनएस के अनुसार, संसद में सबसे बड़ी पार्टी नेपाली कांग्रेस के महासचिव गगन थापा ने गुरुवार को कहा कि देश को ‘ग्रेटर नेपाल’ का नक्शा भी आधिकारिक तौर पर प्रकाशित करना चाहिए। थापा ने कहा, “यदि कोई सांस्कृतिक मानचित्र प्रकाशित करता है, तो नेपाल के पास ग्रेटर नेपाल के मानचित्र को प्रकाशित करने और उस पर विचार करने का अधिकार भी है। यदि नेपाल नए मैप को प्रकाशित करने के बारे में सोचता है, तो भारत को उस पर आपत्ति नहीं करनी चाहिए। बल्कि उसे इसे स्वीकार करना चाहिए।”

पिछले दिनों नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दाहाल ‘प्रचंड’ ने भारत की यात्रा की थी। इस दौरान उनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ कई मुद्दों पर चर्चा भी हुई थी। प्रचंड का दावा है कि उन्होंने इस दौरान अखंड भारत के मैप का मुद्दा भी उठाया था। नेपाल के संसद में बयान देते हुए प्रचंड ने कहा कि उन्होंने अपनी हाल ही में संपन्न भारत यात्रा के दौरान इस मुद्दे को उठाया था। उन्होंने कहा, ”हमने नए भारतीय मैप का मुद्दा उठाया, जिसे संसद में रखा गया है। हमने एक विस्तृत अध्ययन नहीं किया है, लेकिन जैसा कि मीडिया में बताया गया है, हमने इस मुद्दे को गंभीरता से उठाया। इसके जवाब में, भारतीय पक्ष ने कहा कि यह एक सांस्कृतिक और ऐतिहासिक मैप था न कि राजनीतिक। इसे राजनीतिक तरीके से नहीं देखा जाना चाहिए। इसका अध्ययन करने की आवश्यकता है। लेकिन मैंने इस मुद्दे को उठाया है।”

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