दिल्ली आने के बाद अंडरग्राउंड हुई अतीक के भाई अशरफ की पत्नी, कहां हैं बहन और बेटियां?
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अतीक की हत्या के बाद उसकी बीवी शाइस्ता परवीन का अब तक पता नहीं चला है। अतीक के भाई अशरफ की पत्नी जैनब भी तभी से फरार चल रही है। जैनब के बारे में जांच एजेंसियों को सूचना मिली है कि ये दिल्ली आने के बाद से ही अंडरग्राउंड हो गई हैं।

अतीक की बहन और बेटियों के भी दिल्ली आने के बाद से ही अंडरग्राउंड होने का शक है। मामले की जांच में जुटी पुलिस इन सूचनाओं के मद्देनजर दिल्ली में इनके संभावित ठिकानों पर दबिश भी दे रही है, लेकिन तमाम प्रयासों के बाद भी पुलिस के हाथ न तो शाइस्ता परवीन लगी है और ना ही भाई की पत्नी जैनब और बहन का ही कोई पता चला है। इन सभी के फोन भी हत्याकांड के बाद से ही बंद हैं।

उंजेला और मंतशा भी घटना के बाद से ही गायब
दरअसल, अतीक अहमद की बहन आयशा और उसकी दोनों बेटियां उंजेला और मंतशा भी घटना के बाद से ही गायब हैं। उधर जांच में जो खुलासा हुआ है, उसके मुताबिक उमेश पाल हत्याकांड को अंजाम देने के बाद गुड्डू मुस्लिम कुछ दिनों तक मेरठ में छिपा था। इसके सीसीटीवी फुटेज भी सामने आए थे। गुड्डू अपने आका अतीक अहमद के जीजा अखलाक के घर पैसे लेने गया था। आयशा इसी अखलाक की पत्नी है। अखलाक की मेरठ से गिरफ्तारी के बाद ही आयशा अपनी दोनों बेटियों के साथ फरार हो गई थी। वहीं शाइस्ता के फरार होने के बाद से तो उसकी तलाश में उत्तर प्रदेश से लेकर दिल्ली तक दर्जन भर बार छापेमारी भी हो चुकी है।

गुड्डू भी वाया दिल्ली हुआ फरार
अतीक का शूटर बमबाज गुड्डू मुस्लिम भी वाया दिल्ली फरार हुआ था। अतीक के घर वालों की फरारी के बाद से पुलिस की कई टीमें उनकी तलाश में जुटी हैं। लेकिन अब तक उसका कोई सुराग नहीं मिल रहा है। उधर जांच के दौरान यह बात सामने आई है कि साल 2005 में बसपा विधायक राजू पाल की हत्या के मुख्य गवाह उमेश पाल की हत्या करने वाले शूटर्स को अखलाक ने फंडिंग की थी। इतना ही नहीं, उमेश पाल की हत्या में भी अखलाक की अहम भूमिका थी। गिरफ्तार करने से पहले अखलाक से पुलिस कई बार पूछताछ कर चुकी थी। पुलिस को शक था कि बदमाश वारदात को अंजाम देने के बाद मेरठ गए थे। इसी आशंका के मद्देनजर अखलाक रडार पर था।

क्या था मामला?
24 फरवरी 2023 को उमेश पाल और उनके दो सुरक्षा कर्मियों की बदमाशों ने गोली और बम मारकर हत्या कर दी थी। उमेश पाल, विधायक राजू पाल की हत्या के मामले में गवाह थे। बताया जाता है कि 24 फरवरी को उमेश गाड़ी से उतर रहे थे। उसी दौरान बदमाशों ने उन पर फायरिंग कर उनकी हत्या कर दी थी। इस हमले में उमेश के साथ उनके दो सरकारी गनर की भी मौत हो गई थी।

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